दो पल बैठ के हालात चलो बाँट लिया जाए
कुछ वक़्त एक दूजे के साथ काट लिया जाए
क्या मालूम जिंदगी कब अलविदा कह जाए
जो यादगार रहे चंद ऐसी मुलाकात किया जाए
कुछ तुम कहना कुछ हम कहेंगे तो बात बनेगी
चलो कहीं न कहीं से कोई शुरुआत किया जाए
हम इन पत्थरो के सीने से दरियां निकाल दें
इक- दूजे को गर मोहोब्बत से आवाज़ दिया जाए
ऐसा नहीं कि किसी का सारा गम चुराया जा सकता है
पर शायद वो मुस्कुरा दे गर उनका साथ दिया जाए
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
कुछ वक़्त एक दूजे के साथ काट लिया जाए
क्या मालूम जिंदगी कब अलविदा कह जाए
जो यादगार रहे चंद ऐसी मुलाकात किया जाए
कुछ तुम कहना कुछ हम कहेंगे तो बात बनेगी
चलो कहीं न कहीं से कोई शुरुआत किया जाए
हम इन पत्थरो के सीने से दरियां निकाल दें
इक- दूजे को गर मोहोब्बत से आवाज़ दिया जाए
ऐसा नहीं कि किसी का सारा गम चुराया जा सकता है
पर शायद वो मुस्कुरा दे गर उनका साथ दिया जाए
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!