Thursday, May 22, 2014

ख्वाबो के टुकड़ो में तुझको ढूढ़ता रहा

ख्वाबो के टुकड़ो में तुझको ढूढ़ता रहा
अक्स जो धुंधला था उसे चूमता रहा

जाने क्या मिलाया था तूने हवाओ में
महक तेरी समेट कर मैं झूमता रहा

चाह तो थी तेरी मगर राह मालूम न थी
शहर भर में तेरी तस्वीर लिए घूमता रहा


ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'

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