इस शहर में हसने के कई आसार मिलेंगे
हम न मिलेंगे न हमारे दीदार मिलेंगे
खाली मिलेगा तुझको आँगन और घर तेरा
बेरंग तुझे हर दर-ओ-दीवार मिलेंगे
चाह कर भी तुम हमें आवाज़ न लगाना
वरना चेहरा ओढ़ कर कई अदाकार मिलेंगे
तलाशोगे कहाँ पर मेरी चाहत के चमन को तुम
जब भी मिलेंगे कांटे बेशुमार मिलेंगे
नहीं मिलेगी तो बस तेरी तबियत फिर किसी से
यूँ तो इस भीड़ के हाथो में कई हथियार मिलेंगे
बैठोगे जब तनहा तुम गुमनाम अंधेरो में
ख्यालो में मेरी यादो के झंकार मिलेंगे
कहाँ से लाओगे तुम सकून मेरे आँचल सा
जब बेताबियो के साये हदो के पार मिलेंगे
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
हम न मिलेंगे न हमारे दीदार मिलेंगे
खाली मिलेगा तुझको आँगन और घर तेरा
बेरंग तुझे हर दर-ओ-दीवार मिलेंगे
चाह कर भी तुम हमें आवाज़ न लगाना
वरना चेहरा ओढ़ कर कई अदाकार मिलेंगे
तलाशोगे कहाँ पर मेरी चाहत के चमन को तुम
जब भी मिलेंगे कांटे बेशुमार मिलेंगे
नहीं मिलेगी तो बस तेरी तबियत फिर किसी से
यूँ तो इस भीड़ के हाथो में कई हथियार मिलेंगे
बैठोगे जब तनहा तुम गुमनाम अंधेरो में
ख्यालो में मेरी यादो के झंकार मिलेंगे
कहाँ से लाओगे तुम सकून मेरे आँचल सा
जब बेताबियो के साये हदो के पार मिलेंगे
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
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