Thursday, May 22, 2014

"बेरोजगारी जैसे महामारी"

कमबख्त नौकरियों की मारा-मारी है
पर क्या करें ?
अधिकारियों को Reference कि जो बिमारी है...


Reference  मिला तो उल्लू भी घोड़ा
वरना पढ़ा लिखा भी अनाड़ी है .....

सबने तो कह दिया अब कहने कि मेरी बारी है
सुन सको तो सुन लो यारो
वरना Ignore का option जारी है.....

इसे मुँह मोड़ें कैसे ये फैली जैसे महामारी है
जिसने काबिल इंसान के जीवन में ला डाली लाचारी है ...

बेकाबिल बना फिरता है शाह आजकल
हुनर जिनमें है वो बन गया भिखारी है....

किसी ने कर लिया suiscide इस गम में
तो किसी ने डिग्री तक जला डाली है.....

इस देश के हर सेक्टर में भी उर्फ़ कितनी भ्रष्टाचारी है
जो जितने अच्छे ओंदे पे है उतना बड़ा अत्याचारी है ...

हर जगह पर no  vacancy boss
कितनी ज्यादा बेरोजगारी है
इसी बात पे फ़िल्मी डाइलोग
तेरे पास माँ है तो क्या हुआ ?
मेरे पास नौकरी है घर है और गाड़ी है.....

अपना तजुर्बा जो बोला वो बात तो सब कह डाली है
ये सच भी न कितना कड़वा और कितना ज्यादा भारी है !!



Written By : Pari M. 'Shlok'

Note : (ये पंक्तियाँ मैंने वर्ष २०१२ में लिखी थी कुछ addition के बाद आपके सामने प्रस्तुत कर रहीं हूँ )

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