Monday, May 26, 2014

"घन बरसेगा"

अब घन बरसेगा
सारी प्यास धरा की बुझा देगा....
अब के सावन
हरिया चुनर लाकर उढ़ा देगा...

कलियाँ खिली-खिली महक उठेंगी
चिड़िया-चिरंगुल चहक उठेंगी
पेंड-पात सब जाग उठेंगे
मोर बागो में नाच उठेंगे


जब घन छाएंगे
काले रंगो संग आयेगे
बिजलियाँ चमकाएंगे

हर किसान के मन में आस उठेगी
पात-पेंड़ो से आवाज़ उठेगी
हवाओ से झंकार उठेगी
हर मन से पुकार उठेगी

अबके जब घन बरसेगा
सारी प्यास धरा की बुझा देगा !!!


रचनाकार: परी ऍम श्लोक

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