Tuesday, May 27, 2014

!!ये दशाएं!!

ये दिशाए...ये दशाएं.. मेरे हक़ में नहीं
नहीं तुझको भुला पाना मेरे बस में नहीं !

चीख उठता है हर लम्हा बीते उस दौर का
इससे बच पाने कि ताकत मुझमे सच में नहीं !

खुद को कितना भी सम्भालूँ और काबू में रखूं
मगर ये दिल जो पागल है मेरे कहे कस में नहीं !

ये मेरे नसीबो का सितम है और कुछ नहीं 'श्लोक'
वरना तू ही क्यूँ आखिर मेरे किस्मत में नहीं !!


ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'

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