ये दिशाए...ये दशाएं.. मेरे हक़ में नहीं
नहीं तुझको भुला पाना मेरे बस में नहीं !
चीख उठता है हर लम्हा बीते उस दौर का
इससे बच पाने कि ताकत मुझमे सच में नहीं !
खुद को कितना भी सम्भालूँ और काबू में रखूं
मगर ये दिल जो पागल है मेरे कहे कस में नहीं !
ये मेरे नसीबो का सितम है और कुछ नहीं 'श्लोक'
वरना तू ही क्यूँ आखिर मेरे किस्मत में नहीं !!
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
नहीं तुझको भुला पाना मेरे बस में नहीं !
चीख उठता है हर लम्हा बीते उस दौर का
इससे बच पाने कि ताकत मुझमे सच में नहीं !
खुद को कितना भी सम्भालूँ और काबू में रखूं
मगर ये दिल जो पागल है मेरे कहे कस में नहीं !
ये मेरे नसीबो का सितम है और कुछ नहीं 'श्लोक'
वरना तू ही क्यूँ आखिर मेरे किस्मत में नहीं !!
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
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