Wednesday, May 7, 2014

"दर्द........!!"

आज मुझे दर्द हुआ 
वो दर्द था
मगर दर्द से ज्यादा था
जो मैंने महसूस किया
वो सहने कि क्षमता के पार था
इस दर्द से आंसू निकले थे
अहसास हुआ था
रेंगता हुआ मेरे गालो पर नम सा कुछ
वो आंसू थे या नही भी
कैसे बताऊँ मैं ?
क्यूंकि सच में मैंने देखा नहीं
शायद हो सकता है !
वो दर्द से झुलस गए हों 
या फिर आहो में दफ्न हो गए हों
मैंने तुम्हे कहना चाहा
दर्द कि दास्तान
मगर तुमने फिर
दुखती नस पे हाथ फेरा 
अब ये दर्द जो ज्यादा था
हद से ज्यादा बढ़ गया
दर्द में मैं डूब रही थी
सहारा भी मुझे खुद को देना था
दर्द मुझे मारना चाहता था
लेकिन मुझमे कुछ आरज़ू थी जीने कि
मैंने दर्द कि साँसों में
ख़ुशी कि साँस भर दी
दर्द को जीना सिखाया
आज वो दर्द मुस्कुराता है
ख़ुशी में बदल गया है वो अब
और मैं अब टीस को छिपाए
गुनगुना रही हूँ गीत जिंदगी का !!


रचनाकार : परी ऍम श्लोक

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