टूट के बिखरा वो सितारा तो क्या हुआ ?
आज लबो पे नाम न आया हमारा तो क्या हुआ ?
टहलते हुए पहुंचोगे जिस दिन दिल-ए-शहर में
मांगोगे साथ हमारा जब पाओगे खुदको हारा हुआ
इस बात पे दम हमने भरना ही छोड़ दिया
किसी को हम अज़ीज़ नहीं...कोई नहीं हमारा तो क्या हुआ
तकलीफ को ये कहके धूल सा उड़ा दिया
मेरे जस्बातो में हैं आज भी हज़ार गुल खिला हुआ
इस राह में इक हम ही तो तनहा नहीं फिरते
हमसे जैसे ही फिरते हैं कई बेसहारा तो क्या हुआ ?
ग़ज़लकार : परी ऍम श्लोक'
आज लबो पे नाम न आया हमारा तो क्या हुआ ?
टहलते हुए पहुंचोगे जिस दिन दिल-ए-शहर में
मांगोगे साथ हमारा जब पाओगे खुदको हारा हुआ
इस बात पे दम हमने भरना ही छोड़ दिया
किसी को हम अज़ीज़ नहीं...कोई नहीं हमारा तो क्या हुआ
तकलीफ को ये कहके धूल सा उड़ा दिया
मेरे जस्बातो में हैं आज भी हज़ार गुल खिला हुआ
इस राह में इक हम ही तो तनहा नहीं फिरते
हमसे जैसे ही फिरते हैं कई बेसहारा तो क्या हुआ ?
ग़ज़लकार : परी ऍम श्लोक'
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