वादा
नहीं करुँगी
सुना है
वादे हो
या फिर
कसमे
सब अक्सर
टूट जाया करते हैं
मगर
हाँ !
करुँगी ज़रूर
कोशिश
अपने बूते से भी ज्यादा
संस्कारो पे
अडिग रह
हमारे सम्बन्धो को
सांस लेने के लिए
खुशियो का
वातावरण दे सकूँ
तुम्हारे
विश्वास कि
पहाड़ी पर
स्वयं को
सर्वपरी रख सकूँ
भेद न सके
कोई
शक का
धनुष जिसे...
बस इतना
कहूँगी तुम्हे
हमारे बीच के
अनबन कि
सिलवटों को
प्यार के
इस्त्री से
हटाती रहूंगी
मैं तुमसे
जनम-जनम का
ये संबंध
निभाती रहूंगी!!
.....................परी ऍम श्लोक
आपसी विश्वास और समझदारी ही संबंधों की मुख्य धुरी होते हैं।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़ कर।
सादर
beautiful touchy
ReplyDeletesundar
ReplyDeleteइमानदार प्रयास ही काफी है ... सफल जरूर होता है इन्सान ...
ReplyDeleteबस इतना
ReplyDeleteकहूँगी तुम्हे
हमारे बीच के
अनबन कि
सिलवटों को
प्यार के
इस्त्री से
हटाती रहूंगी
मैं तुमसे
जनम-जनम का
ये संबंध
निभाती रहूंगी!!
भावनाओं से ओतप्रोत सार्थक और प्रभावी शब्द