गरीबी ने
एक वक़्त की रोटी दी
खुदा की रहमत समझ
दिलासा दिया
खुद को मैंने
रमजान का दौर है
रोज़ा रख रहा हूँ
जब ज्यादा
तकलीफ से गुजरा
कहीं पर भी बैठ
चिंता की चादर बिछा
उम्मीद का कुरान पढ़ लिया
वक़्त भी कब
हमेशा एक सा होता है ?
इसके
करवट लेते ही .....
खुशियो के चाँद ने
दस्तक दी
दुआओ की पाकीजगी
खिल उठी
रात रोशन हुई
मैं झूम उठा....
जिंदगी से गले मिलके
कह दिया मैंने
ईद मुबारक !!
------------परी ऍम 'श्लोक'
एक वक़्त की रोटी दी
खुदा की रहमत समझ
दिलासा दिया
खुद को मैंने
रमजान का दौर है
रोज़ा रख रहा हूँ
जब ज्यादा
तकलीफ से गुजरा
कहीं पर भी बैठ
चिंता की चादर बिछा
उम्मीद का कुरान पढ़ लिया
वक़्त भी कब
हमेशा एक सा होता है ?
इसके
करवट लेते ही .....
खुशियो के चाँद ने
दस्तक दी
दुआओ की पाकीजगी
खिल उठी
रात रोशन हुई
मैं झूम उठा....
जिंदगी से गले मिलके
कह दिया मैंने
ईद मुबारक !!
------------परी ऍम 'श्लोक'
मैं झूम उठा.... इन ख्यालों को पढ़ कर ...बहुत उम्दा
ReplyDeleteऐ जिंदगी हंस हंस गले लागले ले मुझको
ReplyDeleteमैं झूम उठूँ इस कदर रिझा ले मुझको
चाँद तारे फलक से ज़मीं पर उतर आयें
जश्ने-ईद में तू मुस्कुरा के बुला ले मुझको
मध् "मुस्कान "
गहरा एहसास ...
ReplyDeleteईद की मुकाराक्बाद सभी को ...
ताज़गी भरी बहुत ही खूबसूरत रचना ! बहुत खूब ! आपको भी ईद की दिली मुबारकबाद !
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteआपको भी ईद बहुत बहुत मुबारक !
सादर