Monday, July 28, 2014

जिंदगी तुझे ईद मुबारक :)

गरीबी ने
एक वक़्त की रोटी दी
खुदा की रहमत समझ
दिलासा दिया
खुद को मैंने
रमजान का दौर है
रोज़ा रख रहा हूँ

जब ज्यादा
तकलीफ से गुजरा
कहीं पर भी बैठ
चिंता की चादर बिछा
उम्मीद का कुरान पढ़ लिया

वक़्त भी कब
हमेशा एक सा होता है ?
इसके
करवट लेते ही .....

खुशियो के चाँद ने
दस्तक दी
दुआओ की पाकीजगी
खिल उठी
रात रोशन हुई

मैं झूम उठा....
जिंदगी से गले मिलके
कह दिया मैंने
ईद मुबारक !!


------------परी ऍम 'श्लोक'

5 comments:

  1. मैं झूम उठा.... इन ख्यालों को पढ़ कर ...बहुत उम्दा

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  2. ऐ जिंदगी हंस हंस गले लागले ले मुझको
    मैं झूम उठूँ इस कदर रिझा ले मुझको
    चाँद तारे फलक से ज़मीं पर उतर आयें
    जश्ने-ईद में तू मुस्कुरा के बुला ले मुझको
    मध् "मुस्कान "

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  3. गहरा एहसास ...
    ईद की मुकाराक्बाद सभी को ...

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  4. ताज़गी भरी बहुत ही खूबसूरत रचना ! बहुत खूब ! आपको भी ईद की दिली मुबारकबाद !

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  5. वाह !

    आपको भी ईद बहुत बहुत मुबारक !

    सादर

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