अपनी इस काया पे गुमान करती हूँ..
मैं औरत हूँ..
अपने अस्तित्व का सम्मान करती हूँ..
जिन पुरुषो ने हमको रौंदा ...
हमने उनको चाहा और पाला पोसा..
जिसने सपनो को बरसो गोदा..
दिया हमने उन्हें परमेश्वर का ओंदा..
स्तन का दूध पी जो बड़े हुए
आज वही सीने पे नज़र गाड़े हैं खड़े हुए
जो हमको मलिन बनांते रहे
हम उनकी खैर मनाते रहे
मैं अपनी सहनशक्ति को सलाम करती हूँ..
मैं औरत हूँ..
अपने अस्तित्व का सम्मान करती हूँ
इस देह से नए जीवन का निर्माण करती हूँ
मैं औरत हूँ !!!
----------परी ऍम श्लोक
मैं औरत हूँ..
अपने अस्तित्व का सम्मान करती हूँ..
जिन पुरुषो ने हमको रौंदा ...
हमने उनको चाहा और पाला पोसा..
जिसने सपनो को बरसो गोदा..
दिया हमने उन्हें परमेश्वर का ओंदा..
स्तन का दूध पी जो बड़े हुए
आज वही सीने पे नज़र गाड़े हैं खड़े हुए
जो हमको मलिन बनांते रहे
हम उनकी खैर मनाते रहे
मैं अपनी सहनशक्ति को सलाम करती हूँ..
मैं औरत हूँ..
अपने अस्तित्व का सम्मान करती हूँ
इस देह से नए जीवन का निर्माण करती हूँ
मैं औरत हूँ !!!
----------परी ऍम श्लोक
behatareen , zabajast , mind blowing composition !
ReplyDeleteऐसी हर औरत को सलाम जो खुद को इस नजरिये से देखने का जज्बा रखती हो
ReplyDeleteसही कहा।नारी सिर्फ एक देह मात्र ही नहीं होती बल्कि आम इन्सानों की तरह उसके भीतर एक मन भी होता है।
ReplyDeleteअच्छा लगा आपका ब्लॉग।
सादर
उम्दा रचना
ReplyDeleteजब हम अपने औरत होने का सम्मान करेंगे तभी लोग हमारा सम्मान करना सीखेंगे
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteSaadar aabhar....
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