Thursday, July 3, 2014

तेरे-मेरे दरमियां...........!!!


तेरे मेरे दरमियां बाते थम सी गयी हैं
तेरा मेरे दरमियां खामोशियाँ जम सी गयी है

तेरे मेरे दरमियां हलचलें रुक सी गयी है
तेरे मेरे दरमियां चाहते बुझ सी गयी हैं

तेरे मेरे दरमियां ये कौन सी दीवार है
तू मेरे सामने हैं और हम लाचार हैं

तेरे मेरे दरमियां वो सिलसिले नहीं रहे
अहसासों के रवां वो काफिले नहीं रहे

तेरे मेरे दरमियां यकीन कि रोशनी नहीं
तेरे मेरे दरमियां हम खो गए हैं कहीं

तेरे मेरे दरमियां लापता हैं आशियाँ
जुदा रास्तो पे चल दिए हैं हम बारहा

तेरे मेरे दरमियां वो सादगी नहीं रही
वो मौसम..बारिश और फ़ज़ा रूमानी नहीं रही

तेरे मेरे दरमियां वो तिश्नगी नहीं रही
दिलो में जस्बात और वो दीवानगी नहीं रही

तेरे मेरे दरमियां अब यादो कि पहेली है
तू हैं वहां तनहा और हम यहाँ अकेली हैं 

तेरे मेरे दरमियां बची इक कहानी है
न तू सुनता है न मैं कहती हूँ इतनी बेमानी है





________परी ऍम 'श्लोक'

2 comments:

  1. तेरे मेरे दरमियां यकीन कि रोशनी नहीं
    तेरे मेरे दरमियां हम खो गए हैं कहीं

    तेरे मेरे दरमियां लापता हैं आशियाँ
    जुदा रास्तो पे चल दिए हैं हम बारहा

    तेरे मेरे दरमियां वो सादगी नहीं रही
    वो मौसम..बारिश और फ़ज़ा रूमानी नहीं रही
    ​सार्थक और प्रभावी ​

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  2. tere mere darmian,
    koi bhi nazar na aie,
    bas etani se dua hai,
    badhe nahi to ghatey nahi darmian.

    9868216957

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