हमारे बीच
इक खामोश रिश्ता है
जो इतना गहरा और मज़बूत है
जिसे न तो काटा जा सकता है
और ना ही इसकी जड़ो कि
गहराई का अंदाज़ा
लगाया जा सकता है...
दूर होकर भी
इतने करीब हो
कि तुम सांस लेते तो
मैं महक उठती हूँ...
अब तुम्हे
क्या लिखूं इस खत में
समझ नही आता
या यूँ कहूँ
अल्फ़ाज़ नहीं मिलते
अपने जज्बातों को
उनकेरने के लिए...
ये खाली पन्ना है
भेज रही हूँ
अपने नाम के साथ
जब इसमें कोई अक्षर
न नज़र आये
तो समझ जाना
इसकदर प्यार है तुमसे
कि शब्दकोष में वो शब्द नहीं
जिसे लिख के जता सकूँ
अपने भीतर के
उमड़ते एहसास तुम्हे ..
पढ़ लेना तुम
ख़ामोशी की भाषा
जो दिल से दिल तक का
सीधा संचार है !!
---------------परी ऍम 'श्लोक'
इक खामोश रिश्ता है
जो इतना गहरा और मज़बूत है
जिसे न तो काटा जा सकता है
और ना ही इसकी जड़ो कि
गहराई का अंदाज़ा
लगाया जा सकता है...
दूर होकर भी
इतने करीब हो
कि तुम सांस लेते तो
मैं महक उठती हूँ...
अब तुम्हे
क्या लिखूं इस खत में
समझ नही आता
या यूँ कहूँ
अल्फ़ाज़ नहीं मिलते
अपने जज्बातों को
उनकेरने के लिए...
ये खाली पन्ना है
भेज रही हूँ
अपने नाम के साथ
जब इसमें कोई अक्षर
न नज़र आये
तो समझ जाना
इसकदर प्यार है तुमसे
कि शब्दकोष में वो शब्द नहीं
जिसे लिख के जता सकूँ
अपने भीतर के
उमड़ते एहसास तुम्हे ..
पढ़ लेना तुम
ख़ामोशी की भाषा
जो दिल से दिल तक का
सीधा संचार है !!
---------------परी ऍम 'श्लोक'
पढ़ लेना तुम
ReplyDeleteख़ामोशी की भाषा
जो दिल से दिल तक का
सीधा संचार है !!
वाह.... सुन्दर भावाभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई
ReplyDeleteमन की एहमियत समझ सकने वाला ही
ReplyDeleteपढ़ सकता है बे अल्फ़ाज़ खत
जिसके कोने कोने पे बिखरी हो
उसके नाम की इबारत..................... :)
सादर
प्रेम की भाषा की मौन की भाषा है ... इसको पढना कहाँ मुश्किल होगा ...
ReplyDeleteकहिए सब मेरो हिया तोरे हिय सों बात
ReplyDeleteकागद पर लिखत न बनत ,कहत सँदेस लजात !
जब इसमें कोई अक्षर
ReplyDeleteन नज़र आये
तो समझ जाना
इसकदर प्यार है तुमसे
कि शब्दकोष में वो शब्द नहीं
जिसे लिख के जता सकूँ
अपने भीतर के
उमड़ते एहसास तुम्हे ..
वाह बहुत ही खूबसूरत,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही सुन्दर !
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