बनो क्रूर
और चलाओ छप्पन छुरियाँ
सहूंगी मैं बिना उर्फ़
होगी मेरी
एक चुप पर हज़ार चुप
करो घृणा बनाओ लाख दूरियाँ
अपशब्द कहो स्तब्ध करदो मुझे
लगाओ अपना सम्पूर्ण पराक्रम
जताओ अपना पुरुषार्थ
अपने अहंकार के
पाषाण तले दबोच दो मुझे
करो अपनी मानसिक संतुष्टि
निभाऊंगी कदाचित अपना धर्म मैं
अपने दायित्व से
पल्ला झाड़ना नहीं सीखा मैंने
दिखाओ अपनी छोटाइयां
लेकिन उठूंगी मैं
जब तुम
अत्यधिक नीचे गिर जाओगे
मानवता को छेदिल कर दोगे
मेरे मन के भीष्म को
तीरो की शय्या पर सुला दोगे
सहन की सीमाओ को नाँघ जाओगे
उस पल विरोध का
बिंगुल मैं भी बजाउंगी
और तुम्हारी अति के
छाती पे चढ़
करुँगी अपने अधिकारों की
आसमानी ऊंचाई का
धव्ज़ा रोहण
और सम्मान से
करुँगी जयघोष
गर्वानित सुर में
गाऊँगी....
नारी तू नारायणी
कभी प्रेमिका....कभी माता
तो कभी काली कात्यायिनी !!!!
और चलाओ छप्पन छुरियाँ
सहूंगी मैं बिना उर्फ़
होगी मेरी
एक चुप पर हज़ार चुप
करो घृणा बनाओ लाख दूरियाँ
अपशब्द कहो स्तब्ध करदो मुझे
लगाओ अपना सम्पूर्ण पराक्रम
जताओ अपना पुरुषार्थ
अपने अहंकार के
पाषाण तले दबोच दो मुझे
करो अपनी मानसिक संतुष्टि
निभाऊंगी कदाचित अपना धर्म मैं
अपने दायित्व से
पल्ला झाड़ना नहीं सीखा मैंने
दिखाओ अपनी छोटाइयां
लेकिन उठूंगी मैं
जब तुम
अत्यधिक नीचे गिर जाओगे
मानवता को छेदिल कर दोगे
मेरे मन के भीष्म को
तीरो की शय्या पर सुला दोगे
सहन की सीमाओ को नाँघ जाओगे
उस पल विरोध का
बिंगुल मैं भी बजाउंगी
और तुम्हारी अति के
छाती पे चढ़
करुँगी अपने अधिकारों की
आसमानी ऊंचाई का
धव्ज़ा रोहण
और सम्मान से
करुँगी जयघोष
गर्वानित सुर में
गाऊँगी....
नारी तू नारायणी
कभी प्रेमिका....कभी माता
तो कभी काली कात्यायिनी !!!!
पुरुष जाग ले
ReplyDeleteनारी जाग रही है
भाग ले :)
बहुत सुंदर ।
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteनारी तू नारायणी
कभी प्रेमिका....कभी माता
तो कभी काली कात्यायिनी !!!!
Aap sabhi ka dil se aabhaar....
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
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