Thursday, July 3, 2014

"मौसम हो या वक्त हो बदलते रहना चाहिए"

मौसम हो या वक्त हो बदलते रहना चाहिए...
हालात के हिसाब से ढलते रहना चाहिए..

ए दोस्त क्या रखा है नफरतो के कांच ढोने में..
प्यार का हथियार लेकर चलते रहना चाहिए..

चार दिन कि जिंदगी में किसी से मुँह फेरना कैसा..
हर किसी से मुस्कुरा के मिलते रहना चाहिए..

क्या मिलेगा जला के इन गुलिस्ताओ के गुल..
कांटो के सीने पे फूल खिलते रहना चाहिए..

सच्चाई को रोशनी से रोशन सबका ईमान हो..
हर किसी के दिल में ये मशाल जलते रहना चाहिए..

तुम घबराना नहीं सफर में ढल गयी जो शाम..  
बात ये है कि सुबह का सूरज निकलते रहना चाहिए..

________परी ऍम 'श्लोक'
 

No comments:

Post a Comment

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!