डोरी कच्ची हो तो पतंग छूट जाती हैं 'श्लोक'
ऐसे झूठे रिश्तो को निभाने से क्या होता है ..
ऐसे झूठे रिश्तो को निभाने से क्या होता है ..
दिल के जहान में जब रोज़ बलबा होता है
किसी और कि ख़ुशी में मुस्कुराने से क्या होता है..
किसी और कि ख़ुशी में मुस्कुराने से क्या होता है..
तू भी लिखता है जाग कर मैं भी लिखती हूँ रात भर
हाल दोनों सुनाते हैं लव्ज़ सजाने से क्या होता है ..
हाल दोनों सुनाते हैं लव्ज़ सजाने से क्या होता है ..
मोहोबत मोहोब्बत होती हैं आँखों से झलकती है
बार बार कह कर जताने से क्या होता है ..
बार बार कह कर जताने से क्या होता है ..
तमन्नाओ में शिद्दत रखो जो तुम्हारा है चला आएगा
बार-बार चीखने चिल्लाने से क्या होता हैं ..
बार-बार चीखने चिल्लाने से क्या होता हैं ..
जिसका दिल में कब्ज़ा हो वो छोड़ा नहीं करते
हाथ किसी के हाथ में थमाने से क्या होता हैं ..
हाथ किसी के हाथ में थमाने से क्या होता हैं ..
आदत है तुम्हारी तो रात को खवाबो में आने कि
आखिर तुम्हे दिन भर भूलने भुलाने से क्या होता है ..
आखिर तुम्हे दिन भर भूलने भुलाने से क्या होता है ..
------------परी ऍम 'श्लोक'
उम्दा
ReplyDeleteबहुत खूब परी जी।
ReplyDeleteसादर
----बहुत खूब ..सुन्दर ग़ज़ल.... हाँ वर्तनी की अशुद्धियाँ हैं ---यथा....
ReplyDelete--------डोरी कच्ची हो तो पतंग छूट जाती हैं 'श्लोक' ---डोरी कच्ची होने पर पतंग टूट जाती है ...छूट तो पक्की डोरी भी सकती है...
------दिल में कब्ज़ा हो== दिल पर कब्ज़ा होता है....
---कि के स्थान पर की होना चाहिए ....किसी और कि ख़ुशी... खवाबो में आने कि
Bilkul aapne galti bataayi hai hum sudhaar karenge...aabhaar aapka mere blog par aane or meri gazal pasand karne hetu...
Delete