Tuesday, July 22, 2014

काट दो अन्याय अगर सर उठाये तो....

काट दो अन्याय अगर सर उठाये तो ....
फूंक दो पर जब भी ज्यादा फड़फड़ाये तो...

सूरज को निगल कर शाम का सकून भी चुग ले ...
मशाल जला दो अँधेरा अगर घर में आये तो ...

हवाएं जब तक ठंडक दे इज्जत बक्षो उन्हें...
बंदी बना लो जब भी घरोंदा गिराये तो....


------------परी ऍम "श्लोक"

4 comments:

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!