मुझे जब तेरा ख्याल आता है
जहन में इक सवाल आता है
तू मेरा है या फिर कोई छलावा है
बदल-बदल के जो तेरा किरदार आता है
रह रह के मैं टकरा जाती हूँ
शक का जब ये दीवार आता है
रो पड़ती हूँ तब मैं अचानक ही
राहो में सपनो का मज़ार आता है
जख्म जिस्म का हो है इलाज कई
क्या हो जब दिल होकर बीमार आता है
इश्क़ के जंगल में ही ऐसा होता है
शिकारी खुद ही शिकार हो आता है
-------------परी ऍम श्लोक
Bahut khoob
ReplyDeleteBeautiful Writing,
ReplyDeleteI am new in Creative Writing Please go through my blog
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बहुत शानदार पंक्तियाँ परी जी
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