जवानी ने तौफे में सौ बीमारियां दे दी ..
इस दिल को नजाने कितनी लाचारियां दे दी..
इस दिल को नजाने कितनी लाचारियां दे दी..
मालूम था कि रास्ता बेहतर है कौन सा..
मगर फैसलों ने ता-उम्र की दुश्वारियां देदी..
मगर फैसलों ने ता-उम्र की दुश्वारियां देदी..
सपने बहुत खूबसूरत नज़र किये गए हमें..
हकीकत ने दर-दर कि मारा-मारियां दे दी..
हकीकत ने दर-दर कि मारा-मारियां दे दी..
रातो को बेचैनियाँ दिन को भी नहीं आराम..
हर मौसम में हमें कितनी ही बेक़रारियां दे दी..
हर मौसम में हमें कितनी ही बेक़रारियां दे दी..
दर्द के नगमे..........चाहतो के गीत-ग़ज़ल..
इस दौर में मरने मिटने कि तैयारियां दे दी..
इस दौर में मरने मिटने कि तैयारियां दे दी..
अब माँ नहीं महबूब का आँचल अच्छा लगता है..
नए ज़स्बातो के ज़ंज़ीरो में गिरफ्तारियां दे दी..
नए ज़स्बातो के ज़ंज़ीरो में गिरफ्तारियां दे दी..
सब कुछ लूटा देने के एवज़ में हमें 'श्लोक'..
कुछ पल कि ख़ुशी और चंद खुमारियां दे दीं..
कुछ पल कि ख़ुशी और चंद खुमारियां दे दीं..
हाथो में जिंदगी कि अहली किताब देकर..
नाज़ुक कांधो पे हज़ारो जिम्मेदारियां दे दी..
नाज़ुक कांधो पे हज़ारो जिम्मेदारियां दे दी..
---------------परी ऍम श्लोक
"सब कुछ लूटा देने के एवज़ में हमें 'श्लोक'..
ReplyDeleteकुछ पल कि ख़ुशी और चंद खुमारियां दे दीं.."
वाह बहुत खूब परी जी।
सादर
सपने बहुत खूबसूरत नज़र किये गए हमें..
ReplyDeleteहकीकत ने दर-दर कि मारा-मारियां दे दी..
...वाह...बहुत प्रभावी प्रस्तुति...
बहुत बढ़िया ....
ReplyDeleteबढ़िया...
ReplyDeleteअब माँ नहीं महबूब का आँचल अच्छा लगता है..
ReplyDeleteनए ज़स्बातो के ज़ंज़ीरो में गिरफ्तारियां दे दी..
बढ़िया