मैंने कहा
मुझे माफ़ करदो
उसने कहा ऐसे कैसे
गलती की है तुमने
सज़ा मिलेगी
मैंने पूछा कब तक
उसने कहा आजीवन
मेरा प्रश्न फिर
लेकिन क्यों
उसने कहा
स्त्री हो तुम !
फिर खता उसने की
मैंने नज़र झुका के पूछा
तुमने ऐसा क्यों किया
उसने कहा
प्रश्न सिर्फ मैं कर सकता हूँ
और मैं तो ऐसा ही हूँ
तुम्हे सहना पड़ेगा
बिना कुछ बोले
क्यूंकि
मैं पुरुष हूँ
बलशाली हूँ
मैं तुम्हे जुए में हार भी सकता हूँ
जीत भी सकता हूँ
लेकिन तुम्हे
ये अधिकार नहीं
मैं तुम्हारा पति परमेश्वर हूँ !!
__________________परी ऍम 'श्लोक'
मुझे माफ़ करदो
उसने कहा ऐसे कैसे
गलती की है तुमने
सज़ा मिलेगी
मैंने पूछा कब तक
उसने कहा आजीवन
मेरा प्रश्न फिर
लेकिन क्यों
उसने कहा
स्त्री हो तुम !
फिर खता उसने की
मैंने नज़र झुका के पूछा
तुमने ऐसा क्यों किया
उसने कहा
प्रश्न सिर्फ मैं कर सकता हूँ
और मैं तो ऐसा ही हूँ
तुम्हे सहना पड़ेगा
बिना कुछ बोले
क्यूंकि
मैं पुरुष हूँ
बलशाली हूँ
मैं तुम्हे जुए में हार भी सकता हूँ
जीत भी सकता हूँ
लेकिन तुम्हे
ये अधिकार नहीं
मैं तुम्हारा पति परमेश्वर हूँ !!
__________________परी ऍम 'श्लोक'
विडंबना को बहुत ख़ूबसूरती से प्रस्तुत किया आपने
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
उसने कहा
ReplyDeleteप्रश्न सिर्फ मैं कर सकता हूँ
और मैं तो ऐसा ही हूँ
तुम्हे सहना पड़ेगा
बिना कुछ बोले
क्यूंकि
मैं पुरुष हूँ
बलशाली हूँ
मैं तुम्हे जुए में हार भी सकता हूँ
जीत भी सकता हूँ
लेकिन तुम्हे
ये अधिकार नहीं
मैं तुम्हारा पति परमेश्वर हूँ !!
क्या सब पति ऐसे ही होते हैं ?