अतीत को मारने की
लाख कोशिश की जाए
मगर..
सच तो यही है कि
अतीत कभी मरता नहीं..
आजीवन पीछा करता है..
चौंकाता रहता है
अपनी काली परछाई से..
भय में घोले रहता है
हर सुन्दर सपने कि नीव को..
वक़्त वक़्त पर अपना
जहरीला डंक मारता रहता है
सान देता है
पीड़ाओं के अंगारो में
पड़ जाते हैं फफोले
वर्तमान के जिस्म पर
फिर इसके दाग
चाहे कितनो ही
विलाप के साबुन से धोया जाए
या
झूठ के सुनहरे चादर से
ढक लिया जाए
अपने पंजो में
दबोच ले जाता है ये जिन्नाद
हर ख़ुशी...हर मुस्कान
और फिर से सामने लाकर
खड़ा कर देता है
वही मंज़र....वही दशा..
एक लम्बे संघर्ष के बाद
जिससे निकल कर हम
वर्तमान के गुलशन में प्रवेश करते हैं
बना देता है
मन का हर हिस्सा उजाड़
जीवन को सूखे पत्ते सा झाड़ देती है
बेजार जमीन पर
जहाँ सुख कि हरियाली कि
कोई संभावना नहीं बचती
और फिर
केवल भटकना और ठोकर ही
नियति बन जाती है !!
_______________परी ऍम 'श्लोक'
लाख कोशिश की जाए
मगर..
सच तो यही है कि
अतीत कभी मरता नहीं..
आजीवन पीछा करता है..
चौंकाता रहता है
अपनी काली परछाई से..
भय में घोले रहता है
हर सुन्दर सपने कि नीव को..
वक़्त वक़्त पर अपना
जहरीला डंक मारता रहता है
सान देता है
पीड़ाओं के अंगारो में
पड़ जाते हैं फफोले
वर्तमान के जिस्म पर
फिर इसके दाग
भविष्य में
कभी नहीं छूटा करते चाहे कितनो ही
विलाप के साबुन से धोया जाए
या
झूठ के सुनहरे चादर से
ढक लिया जाए
अपने पंजो में
दबोच ले जाता है ये जिन्नाद
हर ख़ुशी...हर मुस्कान
और फिर से सामने लाकर
खड़ा कर देता है
वही मंज़र....वही दशा..
एक लम्बे संघर्ष के बाद
जिससे निकल कर हम
वर्तमान के गुलशन में प्रवेश करते हैं
बना देता है
मन का हर हिस्सा उजाड़
जीवन को सूखे पत्ते सा झाड़ देती है
बेजार जमीन पर
जहाँ सुख कि हरियाली कि
कोई संभावना नहीं बचती
और फिर
केवल भटकना और ठोकर ही
नियति बन जाती है !!
_______________परी ऍम 'श्लोक'
सही कहा आपने अतीत अच्छा रहा हो या खराब वह किसी न किसी रूप मे हमारे वर्तमान मे भी रहता है।
ReplyDeleteसादर
पीड़ाओं के अंगारो में
ReplyDeleteपड़ जाते हैं फफोले
वर्तमान के जिस्म पर
फिर इसके दाग
भविष्य में
कभी नहीं छूटा करते
चाहे कितनो ही
विलाप के साबुन से धोया जाए
या
झूठ के सुनहरे चादर से
ढक लिया जाए
बिलकुल सही कहा आपने ! अतीत कभी पीछा नहीं छोड़ता ! सुन्दर काव्य
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ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
सुन्दर रचना और अभिव्यक्ति परी जी
ReplyDeletebahut aabhaar iss housala afzaayi ka.
ReplyDelete"अतीत कभी मरता नहीं" सुंदर अभिव्यक्ति आदरणिया परी जी! चकबस्त साहब ने भी लिखा है, जिंदगी और जिंदगी की यादगार परदा और पर्दे पे कुछ परछाईयाँ!
ReplyDeleteधरती की गोद
लाज़वाब प्रस्तुति / शानदार अभिव्यक्ति
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