समझ नहीं आ रहा था
किसको ज्यादा तवज्जु दूँ
भाई के खिलौने के टूटने को
या किसी अद्भुत
सपने के पाश-पाश होने को
चुनाव बहुत मुश्किल हो जाता है
जब भावनाओ के कैनवास पर
कोई मनचाहा
चित्र उभर जाए तो फिर
लेकिन जब जिम्मेदारियां
कांधो पर चढ़ बैठती हैं
तो अपनी ख़ुशी कहीं दब जाती हैं
हम खो जाते हैं इस गुबार में
नज़र आता है तो बस
उन अपनों कि तमाम ख्वाइशें
जिन्हे पूरा करने में
अलग ही सकून का अनुभव होता है
और जिनके मुस्कान के झरनो में
धुल जाते हैं हर अवसाद
परन्तु कभी-कभी
अफ़सोस पनप जाता है
जब किया हुआ समर्पण
अपेक्षाओं कि इस बड़ी मण्डी में
बेभाव... बेकार....रह जाता है
जिनको पूरा करते हुए
जाने कितनो ही
आरज़ूओं को
गिरवी रख दिया गया हो !!
_______________परी ऍम 'श्लोक'
किसको ज्यादा तवज्जु दूँ
भाई के खिलौने के टूटने को
या किसी अद्भुत
सपने के पाश-पाश होने को
चुनाव बहुत मुश्किल हो जाता है
जब भावनाओ के कैनवास पर
कोई मनचाहा
चित्र उभर जाए तो फिर
लेकिन जब जिम्मेदारियां
कांधो पर चढ़ बैठती हैं
तो अपनी ख़ुशी कहीं दब जाती हैं
हम खो जाते हैं इस गुबार में
नज़र आता है तो बस
उन अपनों कि तमाम ख्वाइशें
जिन्हे पूरा करने में
अलग ही सकून का अनुभव होता है
और जिनके मुस्कान के झरनो में
धुल जाते हैं हर अवसाद
परन्तु कभी-कभी
अफ़सोस पनप जाता है
जब किया हुआ समर्पण
अपेक्षाओं कि इस बड़ी मण्डी में
बेभाव... बेकार....रह जाता है
जिनको पूरा करते हुए
जाने कितनो ही
आरज़ूओं को
गिरवी रख दिया गया हो !!
_______________परी ऍम 'श्लोक'
जिनको पूरा करते हुए
ReplyDeleteजाने कितनो ही
आरज़ूओं को
गिरवी रख दिया गया हो !!...
BAHUT UTTAM
हम खो जाते हैं इस गुबार में
ReplyDeleteनज़र आता है तो बस
उन अपनों कि तमाम ख्वाइशें
जिन्हे पूरा करने में
अलग ही सकून का अनुभव होता है
और जिनके मुस्कान के झरनो में
धुल जाते हैं हर अवसाद
परन्तु कभी-कभी
अफ़सोस पनप जाता है
जब किया हुआ समर्पण
भावपूर्ण रचना