Saturday, August 16, 2014

तुम्हारा यूँ मेरा हो जाना

तुम्हारे
साँसो की गर्मियां
खिला देती है
अरमानो के
घने महकते फूल
दिल की बंजर
ज़मीन को
तब्दील कर देती हैं
रंग भरे गुलशन में !

तुम्हारे
स्पर्श की नरमियाँ
सारी कठोरता
हर ले जाती है
घोल देती है
धमनियों में
प्रणय का मीठा रस
आसान बना देती है
मुश्किलातो का दौर !

तुम्हारा
मेरे हो जाने
कि दावेदारी 
खुशियो की 
झड़ी लगा देती है
आत्मा को संतुष्ट
स्वच्छ और निर्मल बना देती है
मुस्कुराहटों की फुहार से
तन-मन भिगो जाती है
और दे जाती है

खाली खाली सी
बेवजह चल रही
जिंदगी को
जीने के खूबसूरत नए मायने !

  ______________परी ऍम 'श्लोक'

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