अभी अभी
बटोर के संभली हूँ
ख़्यालों के फर्श पे बिखरी हुई
तुम्हारे यादों की
झिलमिलाती मोतियाँ
और बाँध के रख ली है पोटली
फिर लिखने को
जज़्बातों से लदबद खूबसूरत इबारत
रात की तनहा सुनसान लहरों पर
दिलकश लव्ज़ तलाश रही हूँ
ताकि रात को अहमियत मिल जाए
और मुझे निजात उन तमाम
बेचैनियों से
जो तुम्हारे आने से पहले
और तुम्हारे जाने के बाद
मुझे अपने गिरफ्त में रखने की
गुस्ताखी पर उतर आती हैं
ऐसे बेहाल हाल से
चंद शब मैं करार पाने को
जो अफ़साना बुन रही हूँ
तुम भी पढ़ना वो खामोश सदा
मेरी जुबां ..मेरे लव्ज़ ...
और मेरे सुलगते एहसास हैं ये
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए !!!
_____________परी ऍम 'श्लोक'
बटोर के संभली हूँ
ख़्यालों के फर्श पे बिखरी हुई
तुम्हारे यादों की
झिलमिलाती मोतियाँ
और बाँध के रख ली है पोटली
फिर लिखने को
जज़्बातों से लदबद खूबसूरत इबारत
रात की तनहा सुनसान लहरों पर
दिलकश लव्ज़ तलाश रही हूँ
ताकि रात को अहमियत मिल जाए
और मुझे निजात उन तमाम
बेचैनियों से
जो तुम्हारे आने से पहले
और तुम्हारे जाने के बाद
मुझे अपने गिरफ्त में रखने की
गुस्ताखी पर उतर आती हैं
ऐसे बेहाल हाल से
चंद शब मैं करार पाने को
जो अफ़साना बुन रही हूँ
तुम भी पढ़ना वो खामोश सदा
मेरी जुबां ..मेरे लव्ज़ ...
और मेरे सुलगते एहसास हैं ये
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए !!!
_____________परी ऍम 'श्लोक'
yeh prem par shraap hen rishton ka
ReplyDeletejo sadiyon se hen...
khoobsurat line
Khoobsurat bhaav !
ReplyDeleteग़ज़ब की रचनाएँ हैं। बस कहीं-कहीं वर्तनी अशुद्ध हैं जैसे आप "लफ़्ज़" को "लव्ज़" लिखती हैं, "जज़्बात" को "जस्बात" लिखती हैं।
ReplyDeleteजो तुम्हारे आने से पहले
ReplyDeleteऔर तुम्हारे जाने के बाद
मुझे अपने गिरफ्त में रखने की
गुस्ताखी पर उतर आती हैं
ऐसे बेहाल हाल से
चंद शब मैं करार पाने को
जो अफ़साना बुन रही हूँ
प्रभावी शब्द परी जी
wah!
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