सुना था मैंने
नशा प्यार में होता है
जो डूब गया
फिर उभर कर
पार नहीं पाता .....
तुम्हारे बारे में
सच कहूँ
तो नशा तुम्हे भी है
इस नशे में तुम
रूहानी बाते करते हो ......
जैसे पढ़ा हो तुमने
बड़े कायदे से
प्यार का कोई शास्त्र..
लिखा हो अहसास भरे
अजन्मे शब्दों के
संयोग से अफ़साना...
मगर
टूट के रह जाता है
मेरा भरम उस पल
जब इस नशे का नकाब
उतरते ही
तुम मेरी पहचान
साकी
और खुद को
शराबी
करार देते हो !!!
-----------------परी ऍम 'श्लोक'
जैसे पढ़ा हो तुमने
ReplyDeleteबड़े कायदे से
प्यार का कोई शास्त्र
नशा तो हर चीज़ का बुरा होता है चाहे शराब हो या इश्क ...
ReplyDeleteवाह :)
ReplyDeleteगर
ReplyDeleteटूट के रह जाता है
मेरा भरम उस पल
जब इस नशे का नकाब
उतरते ही
तुम मेरी पहचान
साकी
और खुद को
शराबी
करार देते हो !!!
बहुत खूबसूरत