Tuesday, August 5, 2014

नशा............


सुना था मैंने
नशा प्यार में होता है
जो डूब गया
फिर उभर कर
पार नहीं पाता .....

तुम्हारे बारे में
सच कहूँ

तो नशा तुम्हे भी है
इस नशे में तुम
रूहानी बाते करते हो ......

जैसे पढ़ा हो तुमने
बड़े कायदे से
प्यार का कोई शास्त्र..

लिखा हो अहसास भरे
अजन्मे शब्दों के
संयोग से अफ़साना...

मगर
टूट के रह जाता है
मेरा भरम उस पल
जब इस नशे का नकाब
उतरते ही
तुम मेरी पहचान
साकी
और खुद को
शराबी
करार देते हो !!!


-----------------परी ऍम 'श्लोक'

4 comments:

  1. जैसे पढ़ा हो तुमने
    बड़े कायदे से
    प्यार का कोई शास्त्र

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  2. नशा तो हर चीज़ का बुरा होता है चाहे शराब हो या इश्क ...

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  3. गर
    टूट के रह जाता है
    मेरा भरम उस पल
    जब इस नशे का नकाब
    उतरते ही
    तुम मेरी पहचान
    साकी
    और खुद को
    शराबी
    करार देते हो !!!
    बहुत खूबसूरत

    ReplyDelete

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