जैसे कोई लूट गया हो जहान मेरा
तेरा बिछड़ना बड़ा दुःखदायी था
तेरा ही नाम था लबो पर मेरे
और अश्को से मचा तबाही था
रात तड़पी और बहुत मैं चीखी
मगर दर्द का कहाँ सुनवाई था?
मत पूछो कि कैसे गुजारे ये दिन
जिंदगी में न रंग न रानाई था
कोई मंज़िल न रही फिर बाकी
हर राह-ए-मोड़ पर तन्हाई थी
यही सोचा था समझा लूँगी खुदको
कि मेरा सनम.. बड़ा हरजाई था
दिल से फेकने के तेरे जुर्म का
मेरा हर लम्हा दे रहा गवाही था
फकत .....
अफ़सोस रहा तो बस इस बात का मुझको
तुझे देने को मोहोब्बत के सिवा
मेरे दामन में सज़ा नही था
वरना दिल तोड़ने से भी बुरा
इस ज़माने में दूजा गुनाह नही था
__________परी ऍम 'श्लोक'
तेरा बिछड़ना बड़ा दुःखदायी था
तेरा ही नाम था लबो पर मेरे
और अश्को से मचा तबाही था
रात तड़पी और बहुत मैं चीखी
मगर दर्द का कहाँ सुनवाई था?
मत पूछो कि कैसे गुजारे ये दिन
जिंदगी में न रंग न रानाई था
कोई मंज़िल न रही फिर बाकी
हर राह-ए-मोड़ पर तन्हाई थी
यही सोचा था समझा लूँगी खुदको
कि मेरा सनम.. बड़ा हरजाई था
दिल से फेकने के तेरे जुर्म का
मेरा हर लम्हा दे रहा गवाही था
फकत .....
अफ़सोस रहा तो बस इस बात का मुझको
तुझे देने को मोहोब्बत के सिवा
मेरे दामन में सज़ा नही था
वरना दिल तोड़ने से भी बुरा
इस ज़माने में दूजा गुनाह नही था
__________परी ऍम 'श्लोक'
लाजवाब
ReplyDeleteरात तड़पी और बहुत मैं चीखी
ReplyDeleteमगर दर्द का कहाँ सुनवाई था? बढ़िया अभिव्यक्ति.....अच्छा लगता है उर्दू के कुछ शब्द जो आप चुन कर हमारे बीच लाती है,