चढ़ बैठते हो
पलकों की मुढ़ेर पर
और
गिरा कर
तोड़ देते हो
मेरे सपनो का गमला
फहरा देते हो
अपने अरमानो का झंडा
मैं सलामी देती हूँ
बिना किसी उफ़ के
तहे दिल से झुक के
देते हो कई घाव मुझे
मैं मुस्कुरा के
फैला देती हूँ हाथ
तुम्हे अपने आग़ोश में भरने के लिए
पागल कहो
या फिर जाहिल मुझे
पर असल में
यही मेरी मोहोब्बत का परिचय है
जो मांगता कुछ नहीं
पर देना बहुत कुछ जानता है !!
-------------परी ऍम श्लोक
पलकों की मुढ़ेर पर
और
गिरा कर
तोड़ देते हो
मेरे सपनो का गमला
फहरा देते हो
अपने अरमानो का झंडा
मैं सलामी देती हूँ
बिना किसी उफ़ के
तहे दिल से झुक के
देते हो कई घाव मुझे
मैं मुस्कुरा के
फैला देती हूँ हाथ
तुम्हे अपने आग़ोश में भरने के लिए
पागल कहो
या फिर जाहिल मुझे
पर असल में
यही मेरी मोहोब्बत का परिचय है
जो मांगता कुछ नहीं
पर देना बहुत कुछ जानता है !!
-------------परी ऍम श्लोक
:)
ReplyDeleteबहुत खूब ... प्रेम के एहसास लिए ...
ReplyDeleteदेते हो कई घाव मुझे
ReplyDeleteमैं मुस्कुरा के
फैला देती हूँ हाथ
तुम्हे अपने आग़ोश में भरने को
पागल कहो
या फिर जाहिल मुझे
पर असल में
यही मेरी मोहोब्बत का परिचय है
बहुत खूब