Tuesday, August 5, 2014

"यही मेरी मोहोब्बत का परिचय है"

चढ़ बैठते हो
पलकों की मुढ़ेर पर
और
गिरा कर
तोड़ देते हो
मेरे सपनो का गमला
फहरा देते हो
अपने अरमानो का झंडा
मैं सलामी देती हूँ
बिना किसी उफ़ के
तहे दिल से झुक के

देते हो कई घाव मुझे
मैं मुस्कुरा के
फैला देती हूँ हाथ
तुम्हे अपने आग़ोश में भरने के लिए 
पागल कहो
या फिर जाहिल मुझे
पर असल में
यही मेरी मोहोब्बत का परिचय है

जो मांगता कुछ नहीं
पर देना बहुत कुछ जानता है !!


-------------परी ऍम श्लोक

3 comments:

  1. बहुत खूब ... प्रेम के एहसास लिए ...

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  2. देते हो कई घाव मुझे
    मैं मुस्कुरा के
    फैला देती हूँ हाथ
    तुम्हे अपने आग़ोश में भरने को
    पागल कहो
    या फिर जाहिल मुझे
    पर असल में
    यही मेरी मोहोब्बत का परिचय है

    ​बहुत खूब

    ReplyDelete

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