तुम और तुम्हारे मापदंड
अपने पास रखो
मैं कोई बाजार में बिकती चीज़ नही
जिसकी सौदेबाज़ी करने आये हो
और लेकर चिटठा खड़े हो गए हो
ये आता है वो आता है
मुझे ये पसंद है वो भाता है
तुम्हे ये सब करना होगा
नहीं तुम्हे ये सुधारना होगा
ऐसा बनना होगा
ऐसा ही करना होगा
उर्फ़
मेरे बस की बात नहीं
मैं तुम्हे जानती ही कितना हूँ
और क्यों तुम्हारे मापदंडो पे
एकदम सटीक बिठाऊँ खुद को
अभी तुम्हारे लिए
ऐसी अनुभूति भी तो नहीं
कि तुम्हारे हिसाब से ढाल लूँ खुद को
तुम्हारे साथ बंधना
मेरी कोई मज़बूरी नहीं
मैं कोई बोझ नहीं
अपना जीवन यापन
अकेले भी कर सकती हूँ
किसी पुरुष का जीवन में होना
इतना भी अनिवार्य नही
मैं तो बस इस परंपरा को
सम्मान देती हूँ
किन्तु ये मेरी निर्बलता नही
तुम मुझे
अपने बैडरूम का सामान समझ के
मेरी हसरतो को खिलवाड़ समझ के
अपनी इच्छाओ को लादने की गलती न करो
वरना यदि मैं अपनी इच्छाएं बताउंगी
तो तुम्हारे पास अपने लिए
उन खूबियों को खरीदने को
तुम्हारे पैसे कम पड़ जाएंगे
मुझपर ये तुम्हारा कोई एहसान नही है
कि तुमसे नज़रे झुका के बात करूँ
सिन्दूर और मंगलसूत्र डाल कर
तुम्हारे इशारो पर नाचने का
बन्दर नही ले कर जा रहे हो तुम
जिस रिश्ते में मुझे बांधने को तुम आये हो
वो समर्पण..विश्वास..प्यार और समझ का रिश्ता है
कोई सौदेबाज़ी नही
और न कोई एहसान
जितनी ज़रूरत मुझे तुम्हारे साथ और वफ़ा कि है
उतनी ही ज़रूरत तुम्हे मेरे साथ और वफ़ा कि है
बेहतर होगा
मापदंड लादने और अपेक्षाएं रखने से ज्यादा
इक दूसरे को समझा जाए
सूरत आंकने से पहने
सीरत कि खूबसूरती को जाना जाए
ताकि जीवन का ये मुश्किल सफर
यादगार..आसान और नायाब बनाया जा सके !!!
_________________परी ऍम 'श्लोक'
अपने पास रखो
मैं कोई बाजार में बिकती चीज़ नही
जिसकी सौदेबाज़ी करने आये हो
और लेकर चिटठा खड़े हो गए हो
ये आता है वो आता है
मुझे ये पसंद है वो भाता है
तुम्हे ये सब करना होगा
नहीं तुम्हे ये सुधारना होगा
ऐसा बनना होगा
ऐसा ही करना होगा
उर्फ़
मेरे बस की बात नहीं
मैं तुम्हे जानती ही कितना हूँ
और क्यों तुम्हारे मापदंडो पे
एकदम सटीक बिठाऊँ खुद को
अभी तुम्हारे लिए
ऐसी अनुभूति भी तो नहीं
कि तुम्हारे हिसाब से ढाल लूँ खुद को
तुम्हारे साथ बंधना
मेरी कोई मज़बूरी नहीं
मैं कोई बोझ नहीं
अपना जीवन यापन
अकेले भी कर सकती हूँ
किसी पुरुष का जीवन में होना
इतना भी अनिवार्य नही
मैं तो बस इस परंपरा को
सम्मान देती हूँ
किन्तु ये मेरी निर्बलता नही
तुम मुझे
अपने बैडरूम का सामान समझ के
मेरी हसरतो को खिलवाड़ समझ के
अपनी इच्छाओ को लादने की गलती न करो
वरना यदि मैं अपनी इच्छाएं बताउंगी
तो तुम्हारे पास अपने लिए
उन खूबियों को खरीदने को
तुम्हारे पैसे कम पड़ जाएंगे
मुझपर ये तुम्हारा कोई एहसान नही है
कि तुमसे नज़रे झुका के बात करूँ
सिन्दूर और मंगलसूत्र डाल कर
तुम्हारे इशारो पर नाचने का
बन्दर नही ले कर जा रहे हो तुम
जिस रिश्ते में मुझे बांधने को तुम आये हो
वो समर्पण..विश्वास..प्यार और समझ का रिश्ता है
कोई सौदेबाज़ी नही
और न कोई एहसान
जितनी ज़रूरत मुझे तुम्हारे साथ और वफ़ा कि है
उतनी ही ज़रूरत तुम्हे मेरे साथ और वफ़ा कि है
बेहतर होगा
मापदंड लादने और अपेक्षाएं रखने से ज्यादा
इक दूसरे को समझा जाए
सूरत आंकने से पहने
सीरत कि खूबसूरती को जाना जाए
ताकि जीवन का ये मुश्किल सफर
यादगार..आसान और नायाब बनाया जा सके !!!
_________________परी ऍम 'श्लोक'
कल 24/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
मुझपर ये तुम्हारा कोई एहसान नही है
ReplyDeleteकि तुमसे नज़रे झुका के बात करूँ
सिन्दूर और मंगलसूत्र डाल कर
तुम्हारे इशारो पर नाचने का
बन्दर नही ले कर जा रहे हो तुम
जिस रिश्ते में मुझे बांधने को तुम आये हो
वो समर्पण..विश्वास..प्यार और समझ का रिश्ता है
कोई सौदेबाज़ी नही
और न कोई एहसान
जितनी ज़रूरत मुझे तुम्हारे साथ और वफ़ा कि है
उतनी ही ज़रूरत तुम्हे मेरे साथ और वफ़ा कि है
बहुत बढ़िया
बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद जी !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें
http://ramaajays.blogspot.jp/
दो टूक. सटीक रचना
ReplyDeleteBadhiya likha..
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