अचानक ही मानो
किसी ने जबरन घोट दी हो साँसे
और एक बार भी न पूछा हो
मेरी आखिरी ख्वाइश क्या है ?
जैसे उसे भय था कि
कहीं मांग न लू तुम्हे
मानो हालातों की चक्कियों में
डाल कर तुम्हारे लिए
तमाम जज़्बात लिए दौड़ती
धड़कनों को पीस डाला गया हो
और फिर किसी ताबूत में रख
दफ़न कर दिया गया हो
ताकि उसके चुरखनो के लबों से निकले
तुम्हारे नाम को दबाया जा सके
जैसे काटा जा रहा हो
जज़्बातों की नसों को आहिस्ता-आहिस्ता
और कोई बद से बत्तर खूंखार आवाज़
मेरी कानों का पर्दा फाड़
आत्मा में कील ठोक रहा हो
फट गया हो जैसे बादल
बह गयी हो उसमे सारी खुशियां
रह गया बचा हुआ दर्द का कंकड़ पत्थर
तुम्हारा मेरे हाथों को छोड़ देना
जिंदगी को कहीं किसी गुमनाम खायी में फेंक आया
मेरे हिस्से में आई हैं तो बस बेहिसाब तबाही
उम्र भर जिसकी भरपाई
कोई दिन....कोई तारीक नहीं कर पाया
और मैं सिर्फ
चेहरे पर हँसी कि चकती लगा कर
रिश्तो के बाजार में झूठ बेचती रही !!
______________परी ऍम 'श्लोक'
किसी ने जबरन घोट दी हो साँसे
और एक बार भी न पूछा हो
मेरी आखिरी ख्वाइश क्या है ?
जैसे उसे भय था कि
कहीं मांग न लू तुम्हे
मानो हालातों की चक्कियों में
डाल कर तुम्हारे लिए
तमाम जज़्बात लिए दौड़ती
धड़कनों को पीस डाला गया हो
और फिर किसी ताबूत में रख
दफ़न कर दिया गया हो
ताकि उसके चुरखनो के लबों से निकले
तुम्हारे नाम को दबाया जा सके
जैसे काटा जा रहा हो
जज़्बातों की नसों को आहिस्ता-आहिस्ता
और कोई बद से बत्तर खूंखार आवाज़
मेरी कानों का पर्दा फाड़
आत्मा में कील ठोक रहा हो
फट गया हो जैसे बादल
बह गयी हो उसमे सारी खुशियां
रह गया बचा हुआ दर्द का कंकड़ पत्थर
तुम्हारा मेरे हाथों को छोड़ देना
जिंदगी को कहीं किसी गुमनाम खायी में फेंक आया
मेरे हिस्से में आई हैं तो बस बेहिसाब तबाही
उम्र भर जिसकी भरपाई
कोई दिन....कोई तारीक नहीं कर पाया
और मैं सिर्फ
चेहरे पर हँसी कि चकती लगा कर
रिश्तो के बाजार में झूठ बेचती रही !!
______________परी ऍम 'श्लोक'
बहुत ही अच्छा लेखन , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसादर
सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभावुक रचना ----
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर ----
कल 22/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
मानो हालातो कि चक्कियों में
ReplyDeleteडाल कर तुम्हारे लिए
तमाम जस्बात लिए दौड़ती
धड़कनो को पीस डाला गया हो
और फिर किसी ताबूत में रख
दफ़न कर दिया गया हो
ताकि उसके चुरखनो के लबो से निकले
तुम्हारे नाम को दबाया जा सके
जैसे काटा जा रहा हो
ज़स्बातो की नसों को
आहिस्ता-आहिस्ता
और कोई बद से बत्तर
खूंखार आवाज़
मेरी कानो का पर्दा फाड़
आत्मा में कील ठोक रहा हो
भावपूर्ण रचना
aap sabhi ka aabhaar mera utsaah badhaane k liye....
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