आप तो ऐसे कह रही है जैसे स्त्री विदेह होती है … ध्यान रहे-जरूरत का हक़दार हर कोई है … और ये क्या बात हुई कि.… स्त्रियों को कमजोरी का तमगा पहनाया जाय.… और पुरुषों को ग़लत-अंदाज़ समझा जाय.… बड़ी चीज़ है -हिम्मत … जो सबमें होना चाहिये …… आख़िरकार जिसमें भी हिम्मत की कमी हुई … उसने कब प्रतिकूलता को चुनौती माना है … उसने तो हरदम समझौता ही उचित माना है … ....... मुझे तो यही लगता है कि प्रतिकूलता को चुनौती समझना पुरुषों की और उससे समझौता करना स्त्रियों की लगभग स्थायी प्रवृत्ति है ……
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असहमत हूँ मैं शब्द "सदैव" से...
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Delete98 % सहमत :)
ReplyDeletebahutt khub
ReplyDeleteआप तो ऐसे कह रही है जैसे स्त्री विदेह होती है …
ReplyDeleteध्यान रहे-जरूरत का हक़दार हर कोई है …
और ये क्या बात हुई कि.…
स्त्रियों को कमजोरी का तमगा पहनाया जाय.…
और पुरुषों को ग़लत-अंदाज़ समझा जाय.…
बड़ी चीज़ है -हिम्मत … जो सबमें होना चाहिये ……
आख़िरकार जिसमें भी हिम्मत की कमी हुई …
उसने कब प्रतिकूलता को चुनौती माना है …
उसने तो हरदम समझौता ही उचित माना है …
....... मुझे तो यही लगता है कि प्रतिकूलता को चुनौती समझना पुरुषों की
और उससे समझौता करना स्त्रियों की लगभग स्थायी प्रवृत्ति है ……
waah.........
Deleteसत्य वचन
ReplyDeleteसादर
गहरी अर्थपूर्ण ... कुछ हद तक सत्य कहती ..
ReplyDeleteसटीक .....बहुत सुंदर विचार
ReplyDeleteAisa Hamesha satya nahi mana ja sakata.
ReplyDeleteकाम शब्दों में खूब कहा .... कटु , पर सत्य यही है
ReplyDeleteकल 12/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
par jyadatar smay me stya aisa hi hota hai...
ReplyDeletetippani ke liye shukriyaa pradeep ji....
ReplyDeleteअधिकतर समय ऐसा होता है पर पुरुष भी समझौता करते हैं | जीवन में समझौता बहुत जरुरी है |
ReplyDeleteअनुभूति : ईश्वर कौन है ?मोक्ष क्या है ?क्या पुनर्जन्म होता है ?
मेघ आया देर से ......
बहुत सुंदर विचार...कुछ हद तक सत्य कहती...
ReplyDeleteसदैव ?
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