आखिर
क्यूँ नहीं आया तुम्हे
मेरा
ख्याल एकबार भी
जानते
भी हो...
कितना
सितम सहा है मैंने
इक
उम्र तक हर पूर्णिमा का चाँद
मेरे
अधूरेपन पर ताना कसता रहा
मैं
जब भी तुम्हारी मौजूदगी सिद्ध करती
अमावस
आकर मेरी
कोशिशो
को खंडित करता रहा
तुम्हारी
तलाश में सिर्फ पाँव में ही नहीं
हृदय
पर भी अनगिनत छाले पड़े
कई
बार खाली फ्रेम पर
ख्याली
तस्वीरे लगाया
और
उतारा करती थी
तुम्हारे
लिए
कितने
ही बारिश तरसती रही
कितने
मौसम गुजर गए
कितने
सावन बिसर गए
झूलती
रही झूले पर जीवन के
बिलकुल
तनहा अकेली
परिस्थितियों
की पैंगी मुझे
आसमान
तक लेजाकर
सतह
पर लाती रही
कितना
कुछ सहती रही
इस
पथ पर चलते हुए
लेकिन
सच कहूँ ?
तुम्हे
पाने का हौसला न
और
भी खरा होता चला गया
अब
जाकर मिले हो तुम
जब
चार दिन की जिंदगी में से
घट
गए दो दिन
भला
ऐसा भी कोई करता है क्या ?
अब
कैसे
पुरे होंगे सब अरमान मेरे
शिकायत
बहुत है हाँ ....
बताओ
न
अब
तक कहाँ थे तुम ?
और
पहले क्यूँ नहीं आये !!
_________ © परी ऍम 'श्लोक'
tumhe pane ka hausala or bhi khara hota chla gya....virah ki agn me jo tapaa h whi to nikhar kr pyar banaa hai....lajwab prastuti..dil k sagar se nikali hui motiyon ki mala..
ReplyDeleteअनूठा अंदाज़ , मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeletebahut badhiya pari ji...khobsoorat lafzon se sachi rachna
ReplyDeleteकितना सच सा लगता है एक एक शब्द! बहुत सुंदर! परी जी बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ! अब तो मिल गये ना ! बचे हुए दो बहुमूल्य दिन शिकायत में ना गँवाइए और मिलन की इस घड़ी का भरपूर आनंद उठाइये ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया परी जी
ReplyDeleteसादर
इतना सुन्दर मनुहार !!!
ReplyDeleteबहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर.
Aap sabhi ka dhero aabhaar .... Meri rachnaaye pasand karne ke liye .. Meri in kalpnaao ko parwaaz dene ke liye ... Hardik aabhaar !!
ReplyDeleteयह कविता सुन्दर भाव लिए |
ReplyDeleteइतनी शिकायत ! लेकिन इस शिकायत में भी जो अपनापन झलकता है वो जीवन के लिए जरुरी है ! सार्थक शब्द लिखे हैं आपने परी जी !
ReplyDeleteapni bhawnaon ko apne hi shabdon mein bakhoobi bayan kiya hai aapne ...new post
ReplyDeletehttp://iwillrocknow.blogspot.in/
bahut sundar ......jab jago tabhi sabera ...
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteइस कविता का तो जवाब नहीं !
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