Friday, October 31, 2014

अगर तुमसा कोई होता ....

तुम्हे पढ़ा तो
ख्याल आया कि....
.

सफर कितना
आसां हो जाता
इक हमसफ़र
तुमसा......
अगर होता तो
अच्छा था

कोई होता
जो लिखता नज़्म..
कविता..अशआर..
मेरी याद में
कोई प्यार भरे
गीतों से
मुझे भिगोता तो
अच्छा था

कोई रात
मेरे लिए जागता
और मेरे ही सपने
सजोता तो
अच्छा था

मेरी खामी में
खूबियों की चमक
तलाश लेता
कोई कोयले से
कोहनूर बना देता
तो अच्छा था

मुझे जुबां की
तकल्लुफ न देता
कोई नज़रो कि बात
नज़रो से ही
समझ लेता तो
अच्छा था

किसी की
महफ़िल
हमी से होती
कोई मेरे बिना
तनहा....
अगर होता तो
अच्छा था

मेरी दुनियाँ में भी 
तुम जैसा कोई
होता तो
अच्छा था !!

________________________
© परी ऍम. 'श्लोक'
(इमरोज़ जी को पढ़ने के बाद ..मुझे ये ख्याल आया...!! )

17 comments:

  1. मेरी दुनियाँ में भी
    तुम जैसा कोई
    होता तो
    अच्छा था ....sach me hota to achha tha ....

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  2. अगर हमसफ़र हमदिल भी हो तो जीने का अंदाज़ अलग सा होगा ...सुंदर रचना बधाई

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  3. सुंदर । आंसा कर ले अंसा को ।

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  4. बहुत सुंदर.
    आसान को आसां भी लिखा जा सकता है.

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  5. सब को वो मिले जो मनकामना हो ।
    क्यों दुनियां में फिर से सामना हो ।
    खुद ख्वाहिश भूल किसी का साथ दे ।
    किसी की तों पूरी कोई भावना हो

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  6. सुन्दर शब्द व भाव...बधाई...

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (01-11-2014) को "!! शत्-शत् नमन !!" (चर्चा मंच-1784) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. बहुत अछा प्रस्तुतीकरण ! भावप्रधान !

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  9. आ हा............ सब कुछ तो कह दिया.... वो भी कितने खूबसूरत अंदाज में....!!!! (Y) :)

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  10. जो मिला है काश वही अच्छा होता

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  11. बहुत बढ़िया परी जी


    सादर

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  12. वाह ! बहुत ही सुन्दर !

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  13. प्रेम हो तो सब कुछ अच्छा हो जाता है जीवन में ...

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  14. किसी की
    महफ़िल
    हमी से होती
    कोई मेरे बिना
    तनहा....
    अगर होता तो
    अच्छा था
    उम्दा ख्यालात

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