Monday, October 13, 2014

आज नासाज़ है तबियत मेरी ..चले आओ तुम....


आज नासाज़ है तबियत मेरी
चले आओ तुम....
दर्द मर जाएगा
हाथो से ज़रा सहलाओ तुम....

 जान ...
तुम ऐसे तो न थे पहले कभी
 
बिन कहे अक्सर ही जान जाते थे
हर बात मेरी 
फिर आज किस दीवार से टकरा रही है
दरख्वास मेरी 

जाने तुम्हे वक़्त के साथ हुआ क्या है
इश्क़ का एहसास आज-कल धुँआ-धुँआ सा है

 याद है तुम्हे ?
पहले तो मुझे छींक भी आये
तो तुम बहुत रोते थे
रात भर मुझे तकते थे
कब एक पल भी सोते थे ? 

आज जब तप रहा है आग सा जिस्म मेरा
काम न आ रहा यादो का तिलिस्म तेरा
सोचा तेरी तस्वीर से काम चला लूँ
उठा कर डायरी से तुझे सीने से लगा लूँ  

मगर
आज बेकार रही कोशिश हर तरकीब सुनो
अब तो चले आओ ऐसे भी न संगदिल बनो

 माना कि जिद्दी हो
पर आज न तड़पाओ तुम
इससे पहले कि टूट जाये आखिरी कड़ी भी साँसों कि

कैसे भी करो.... कुछ भी करो...
मगर .....चले आओ तुम !!
 
___________________________
 © परी ऍम 'श्लोक'

15 comments:

  1. दिल को छू लेने वाली रचना, बेहतरीन..।।

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  2. बहुत खूब !
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !

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  3. क्या बात है ! बड़ी कशिश है आपकी कलम में ! आपकी ख्वाहिश जल्दी पूरी हो यही दुआ है ! सुन्दर रचना !

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  4. आज जब तप रहा है आग सा जिस्म मेरा
    काम न आ रहा याद का तिलिस्म तेरा
    सोचा तेरी तस्वीर से काम चला लूँ
    उठा कर डायरी से तुझे सीने से लगा लूँ

    मगर
    आज बेकार रही कोशिश हर तरकीब सुनो
    अब तो चले आओ ऐसे भी न संगदिल बनो
    बहुत ही भावनात्मक और सार्थक शब्द

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  5. ऐसी तबियत में और भी ज़रूरत होती है अपनों की .....सुंदर रचना

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  6. किस तरह जी उठते हैं हर शब्द
    जब वो आपकी कलम से होकर निकलते हैं ।
    बहुत सुन्दर ।

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  7. So beautiful and full of longing..loved it ! :)

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  8. चले आओ की तबियत भी बदलने लगी है।
    शाम और साँसे दोनों ही ढलने लगी है।
    बहुत सुन्दर , बहुत प्रेमपूर्ण।

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  9. ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति…

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  10. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

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  11. Very nicely crafted the longingness and yearning of the heart...stay blessed !!!

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