आज
नासाज़ है तबियत मेरी
चले
आओ तुम....
दर्द
मर जाएगा
हाथो
से ज़रा सहलाओ तुम....
तुम
ऐसे तो न थे पहले कभी
बिन
कहे अक्सर ही जान जाते थे
हर
बात मेरी
फिर
आज किस दीवार से टकरा रही है
दरख्वास
मेरी
जाने
तुम्हे वक़्त के साथ हुआ क्या है
इश्क़
का एहसास आज-कल धुँआ-धुँआ सा है
पहले
तो मुझे छींक भी आये
तो
तुम बहुत रोते थे
रात
भर मुझे तकते थे
कब
एक पल भी सोते थे ?
आज
जब तप रहा है आग सा जिस्म मेरा
काम
न आ रहा यादो का तिलिस्म तेरा
सोचा
तेरी तस्वीर से काम चला लूँ
उठा
कर डायरी से तुझे सीने से लगा लूँ
मगर
आज
बेकार रही कोशिश हर तरकीब सुनो
अब
तो चले आओ ऐसे भी न संगदिल बनो
पर
आज न तड़पाओ तुम
इससे
पहले कि टूट जाये आखिरी कड़ी भी साँसों कि
कैसे
भी करो.... कुछ भी करो...
मगर
.....चले आओ तुम !!
दिल को छू लेने वाली रचना, बेहतरीन..।।
ReplyDeletesundar bhaav.
ReplyDeletebahut hi badhiya..behatreen
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
क्या बात है ! बड़ी कशिश है आपकी कलम में ! आपकी ख्वाहिश जल्दी पूरी हो यही दुआ है ! सुन्दर रचना !
ReplyDeleteआज जब तप रहा है आग सा जिस्म मेरा
ReplyDeleteकाम न आ रहा याद का तिलिस्म तेरा
सोचा तेरी तस्वीर से काम चला लूँ
उठा कर डायरी से तुझे सीने से लगा लूँ
मगर
आज बेकार रही कोशिश हर तरकीब सुनो
अब तो चले आओ ऐसे भी न संगदिल बनो
बहुत ही भावनात्मक और सार्थक शब्द
ऐसी तबियत में और भी ज़रूरत होती है अपनों की .....सुंदर रचना
ReplyDeleteकिस तरह जी उठते हैं हर शब्द
ReplyDeleteजब वो आपकी कलम से होकर निकलते हैं ।
बहुत सुन्दर ।
So beautiful and full of longing..loved it ! :)
ReplyDeleteचले आओ की तबियत भी बदलने लगी है।
ReplyDeleteशाम और साँसे दोनों ही ढलने लगी है।
बहुत सुन्दर , बहुत प्रेमपूर्ण।
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति…
ReplyDeleteबहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
Very nicely crafted the longingness and yearning of the heart...stay blessed !!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteye abhivykti bahut kucch kahati hai
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