बहुत सुन्दर प्रस्तुति। -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-10-2014) को "देश जश्न में डूबा हुआ" (चर्चा मंच-1779) पर भी होगी। -- चर्चा मंच के सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!
सटीक ।
ReplyDeletelajawaab, "satsaiya ke dohare jyon Naavik ke teer, dekhan me chote lage ghaav kare gambheer"
ReplyDeleteबहुत बढ़िया परी जी
ReplyDeleteसादर
एक दम सही बात है और कहने का अंदाज़ लाजवाब ....
ReplyDeleteआपकी ये रचना चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चा हेतू 25 अक्टूबर को प्रस्तुत की जाएगी। आप भी आइए।
ReplyDeleteस्वयं शून्य
सुन्दर और सटीक पारी जी
ReplyDeleteसुंदर, सटीक और सार्थक...मंगलकामनाएँ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सटीक प्रस्तुति, आभार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-10-2014) को "देश जश्न में डूबा हुआ" (चर्चा मंच-1779) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कुछ देर के इस जश्न में डूब भी लेने दीजिये परी जी , फिर तो जूझना ही है कहीं-न-कहीं !
ReplyDeletedub jawa kuch pal ke lia,
ReplyDeletekuch khoj lo jalate hue dion me,
roshani to jalati rahegi har ghadi,
jit lo tum kuch dil apani rachnaon se
pari ji aap eshi tarah likhati rahen
एकदम सटीक और सार्थक भी
ReplyDeleteकम शब्दों मे बड़ी बात...
ReplyDelete