कोशिश
वही
कामयाब होती है
जिसकी नेक सोच से
शुरुआत होती हैं
कामयाब होती है
जिसकी नेक सोच से
शुरुआत होती हैं
नेक कर्म
मीठा फल पाता है
बेशक थोड़ा वक़्त लगे
पर सही समय ज़रूर आता है
तुमने बचपन बचाया
कितने बच्चो का उद्धार किया
उच्च स्तर की सुख-सुविधाओ को
इस मकसद के खातिर त्याग दिया
उच्च स्तर की सुख-सुविधाओ को
इस मकसद के खातिर त्याग दिया
देखो ..
तुमने भी तो पाया
कितने बेबसों के
आशीषों ने तुम्हे
नोबेल पुरस्कार दिलाया
तुमने भी तो पाया
कितने बेबसों के
आशीषों ने तुम्हे
नोबेल पुरस्कार दिलाया
यह सबको देता हैं सन्देश
बस नेक सोच सूझ-बूझ के साथ
बढ़ते रहो....निष्पक्ष रहो
बढ़ते रहो....निष्पक्ष रहो
रास्ते मुश्किल से मुश्किल भी खुलेंगे
हौसले गर जिन्दा है
तो मौके और भी मिलेंगे
हौसले गर जिन्दा है
तो मौके और भी मिलेंगे
तुम भी तो
शिक्षा के लिए लड़ी
मौत को भी मात दिया
तुम्हारे ज़ज़्बों के जिंदादिली ने
तुम्हे सम्मान में शांति पुरस्कार दिया !!
शिक्षा के लिए लड़ी
मौत को भी मात दिया
तुम्हारे ज़ज़्बों के जिंदादिली ने
तुम्हे सम्मान में शांति पुरस्कार दिया !!
_______ © परी ऍम 'श्लोक'
पुरस्कार और उपहार पाना दोनों ही सुखद होते हैं।
ReplyDeleteशान्ति के नोबल पुरस्कार की सूचना हर बार मुझे ऐसी लगती है जैसे कोई किसी को उपहार दे रहा हो।
- कैलाश जी ने ८० हज़ार बचपन को बचाया और अपने दूसरे प्रयास में उपहारस्वरूप अपना बुढ़ापा बचाया ।
- अब शान्ति के दूत अमेरिका के बाद पाकिस्तान से भी मिलने लगे हैं। मलाला जी के चयन का आधार हास्यास्पद लगा। [हास्योक्ति - नाम में दो बार ला ला आ जाने से कहीं उपहार का जरूरतमंद पात्र तो नहीं समझ लिया गया। ] चलो अच्छा है यह पुरस्कार अपना अवमूल्यन स्वयं करने में लगा है। मुझे लगता है एक समय बाद इसके विकल्प में एक नए पुरस्कार की दरकार होगी।
बहुत अच्छा लिखा है !
ReplyDeleteपाकिस्तान में भी शांति कायम रखने के पक्ष में कुछ लोग जीवित है।
ReplyDeleteहां जरुर ये बधाई के पात्र हैं।
उम्दा लेखन
हौसले गर जिन्दा है तो मौके और भी मिलेंगे ।।
ReplyDeleteसही कहा आपने । ये हौसले ही थे कि हर दिन मौत को करीब देख भी वो नन्ही बच्ची विजयपथ पर चलती रही ।
साधुवाद अपनी लेखनी से आपने जो इन्हें सम्मान दिया ।
अपनी कविता के माध्यम से आपने सुंदर बधाई दी है
ReplyDeleteएक तरफ ८० हजार बच्चों को नया रास्ता दिखाया दुसरे तरफ बालिकाओं के लिये नया रास्ता का आगाज़ किया ---दोनों अतुलनीय कर्म है ! यथोचित सम्मान मिला ! बधाई |सुन्दर रचना !
ReplyDeleteसाजन नखलिस्तान
बधाई देने की नई भंगिमा -बढ़िया रही !
ReplyDeleteपुरुस्कार पाने वालों को बधाई और आप को बधाई सुन्दर रचना के लिये
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति... 2014 का नोबेल शांति पुरस्कार भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को संयुक्त रूप से मिलना पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए गर्व की बात है. यह घोषणा ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों की सीमा पर भारी तनाव है. कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई के प्रयासों को सलाम...यह उनकी सच्ची लगन और कोशिशों से ही मुमकिन हुआ है..
ReplyDeleteबधाई दोनों को ... हालांकि कई बार राजनीति हो जाती है इस पुरूस्कार पर ...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय सत्यर्थी जी एवं प्रिय मलाला को।
ReplyDeleteसादर
तुमने बचपन बचाया
ReplyDeleteकितने बच्चो का उद्धार किया
उच्च स्तर की सुख-सुविधाओ को
इस मकसद के खातिर त्याग दिया
देखो ..
तुमने भी तो पाया
कितने बेबसों के
आशीषों ने तुम्हे
नोबेल पुरस्कार दिलाया
हार्दिक बधाई
पुरस्कार नई पीढ़ी को एक संदेश देते हैं --- बहुत सार्थक लिखा --
ReplyDeleteसादर ---