अजब समस्या है
मैं जो कहती हूँ
उसे कोई सुनता नहीं
मुँह टेड़ा करके
गर्दन हिला के चलते बनते हैं
कई बार तक तो
बात गरमा-गर्मी पर आ जाती है
सुनने को उल्टा ही मिल जाता है
"मुझे तुमसे ज्यादा पता है"
भाई ! पता तो हैं
पर अमल में कब लाएंगे ?
जब कोई बड़का आदमी कहेगा
जो जनता के बीच चर्चित हो तभी क्या ?
अब ज़माना बहुत आगे निकल गया है
छोटे मुँह से बड़ी बात
किसी को रास नहीं आती है
लोग बड़ी हस्ती की
उसी छोटी बात को सुनने के लिए
कितनी बिजली फूंकते हैं ..
सारा काम छोड़ कर बैठ जाते हैं
टेलीफोन का बिल खपत करते हैं
मैं सेत में समझाती हूँ तो
मेरी बात को सब अनसुना कर देते हैं
जैसे कोई पागल ..दिवालिया कुछ बड़बड़ा रही हो
आस-पास चार लोगो का
जुहाना भी मुश्किल हो जाता है
मन उफना रहा था
तो मैंने कह दिया आह ! गरीबी बहुत है देश में
मन मार के कुछ ने सुना
कुछ ने कहा ...
अरे! तू कौन सी नयी बात बता रही है
हम नहीं देखते क्या ?
नंगे-भूखे लोग फूटपाथ पर
हमारी आँखे सलामत है
भेजा मत खराब कर
लो ये क्या ?
मैं सुधार की बात करती हूँ
लोग नुक्स निकाल देते हैं
लगता है
अब कुछ कहने के लिए भी
औकात बनानी होगी ...
अखबार में आना होगा
परदे पर छा जाना होगा
मशहूर बन जाना होगा
तब कहीं जाकर लोग मुझे सुनेंगे
मैं अपने ज्ञान का प्रसाद बाँट पाऊँगी ..
समस्या रखने का अधिकार पाऊँगी
विश्वास करो ...
बन जाऊँ जो भी
रखूंगी मैं अपनी बात ऐसे ही
बिलकुल मुफ्त में ....
बस प्रतिष्ठा बड़ी होगी
क्यूँ तब तो सुनोगे न मुझे ??
____________
मैं जो कहती हूँ
उसे कोई सुनता नहीं
मुँह टेड़ा करके
गर्दन हिला के चलते बनते हैं
कई बार तक तो
बात गरमा-गर्मी पर आ जाती है
सुनने को उल्टा ही मिल जाता है
"मुझे तुमसे ज्यादा पता है"
भाई ! पता तो हैं
पर अमल में कब लाएंगे ?
जब कोई बड़का आदमी कहेगा
जो जनता के बीच चर्चित हो तभी क्या ?
अब ज़माना बहुत आगे निकल गया है
छोटे मुँह से बड़ी बात
किसी को रास नहीं आती है
लोग बड़ी हस्ती की
उसी छोटी बात को सुनने के लिए
कितनी बिजली फूंकते हैं ..
सारा काम छोड़ कर बैठ जाते हैं
टेलीफोन का बिल खपत करते हैं
मैं सेत में समझाती हूँ तो
मेरी बात को सब अनसुना कर देते हैं
जैसे कोई पागल ..दिवालिया कुछ बड़बड़ा रही हो
आस-पास चार लोगो का
जुहाना भी मुश्किल हो जाता है
मन उफना रहा था
तो मैंने कह दिया आह ! गरीबी बहुत है देश में
मन मार के कुछ ने सुना
कुछ ने कहा ...
अरे! तू कौन सी नयी बात बता रही है
हम नहीं देखते क्या ?
नंगे-भूखे लोग फूटपाथ पर
हमारी आँखे सलामत है
भेजा मत खराब कर
लो ये क्या ?
मैं सुधार की बात करती हूँ
लोग नुक्स निकाल देते हैं
लगता है
अब कुछ कहने के लिए भी
औकात बनानी होगी ...
अखबार में आना होगा
परदे पर छा जाना होगा
मशहूर बन जाना होगा
तब कहीं जाकर लोग मुझे सुनेंगे
मैं अपने ज्ञान का प्रसाद बाँट पाऊँगी ..
समस्या रखने का अधिकार पाऊँगी
विश्वास करो ...
बन जाऊँ जो भी
रखूंगी मैं अपनी बात ऐसे ही
बिलकुल मुफ्त में ....
बस प्रतिष्ठा बड़ी होगी
क्यूँ तब तो सुनोगे न मुझे ??
____________
©परी ऍम श्लोक
ये विडम्बना तो है..
ReplyDeleteati sunder
ReplyDeleteSabhi apni jimmedariyon se bhagne ki kosish karte hai koi apne pad aur prabhaav ke bahane aur koi apni shreshta dikha kar kar. Mai se hum banne ki prkriya lambi hai par aane me samay lagega. Appki ke bhaav taktya ko ugagar karne wale hai.
ReplyDeleteकहावत है ना 'घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध' ! साधारण सी बात भी यदि कोई बड़ा आदमी कह दे तो वेदवाक्य सा लगता है वही बात कोई सर्वसाधारण कहे तो प्रलाप सा लगता है ! सार्थक सोच लिये सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबहुत उम्दा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (07-10-2014) को "हमे है पथ बनाने की आदत" (चर्चा मंच:1759) (चर्चा मंच:1758) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लोगों की आदत नहीं सुनने की ,कोई बेतुकी बात कहो तो सब सुनेंगे .तुक की बात यों चुटकी में उड़ा देंगे
ReplyDeleteThats the only truth you have to gain the status/Position in life . Only then you can not only able to speak but also you can force them to convince .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : बुजुर्ग या वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा क्यों ?
बेहद खूबसूरत लेखन , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बात मे बहुत दम है. हम आम इंसान की यही विडंबना है की हमारी बहुत काम की बात भी लोग सुनना नही चाहते और बड़े लोगो की हर छोटी बात भी बहुत ख्याल से सुनते है.
ReplyDeleteलगता है
ReplyDeleteअब कुछ कहने के लिए भी
औकात बनानी होगी ...
अखबार में आना होगा
परदे पर छा जाना होगा
मशहूर बन जाना होगा
तब कहीं जाकर लोग मुझे सुनेंगे
मैं अपने ज्ञान का प्रसाद बाँट पाऊँगी ..
समस्या रखने का अधिकार पाऊँगी
ये तो इंसान की प्रवृत्ति होती है परी जी ! स्वाभाविक शब्द लिखे हैं आपने !
जरुरी नहीं की मशहूर लोग सही बोलते हैं ....इसलिए मशहूर भी हों तो ऐसे जब दिल डरे न सही बोलने से ....
ReplyDeleteबस सही बोलते रहें मशहूर हों या न हों .....