बड़ी
रोशनी है
आपकी
सीरत में
चौंधिया
गए इरादे हमारे
बड़ी
दिलकश है
अदाएं
आपकी
उफ़....
फिसल
गयी
हसरतें
हमारी
इक
अधूरी झलक तेरी
और
गूंगा
मन
सितार
सा बज उठा
पतझड़ों
कि लुटी हुई
बस्ती
में
आई
हो बहारें जैसे
मुस्कुराने
लगी फ़ज़ाएँ
पागल
हुई हवाएँ
लो
मैं जिसे
जानती
भी नहीं
ज़रा सा
खयालो
के कैनवास पर
उसका
अक्स क्या बनाया
अजी
ये तो...
उल्फत हो गयी !!
उल्फत हो गयी !!
_____________________
© परी ऍम 'श्लोक'
सुंदर !
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (31.10.2014) को "धैर्य और सहनशीलता" (चर्चा अंक-1783)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteखूबसूरत शब्दों में सुन्दर विचार लिए कविता |
ReplyDeleteओहो.......... गजब जी गजब !!! :)
ReplyDeleteek adhuri jhalak teri or gunga man sitar sa baj utha.......bhut sundar bhav
ReplyDeleteएक जाना पहचाना उल्फत किसी अनजाने से
ReplyDeleteबहुत खूब !
वाह नयी उमंग नयी आशाएँ... बहुत सुन्दर
ReplyDeletenice composition
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा बेहद ही
ReplyDeleteउल्फत चीज़ ही कुछ ऐसी है ! बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteहिंदी फोरम
ये होता है , परी जी ! खूबसूरत शब्द
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