आज
की शाम मानो
धरती
पर उतर आई हो
सोलह
शृंगार किये
रंग-बिरंगे
वस्त्र पहने हुए
माथे
पर लाल सिन्दूर भरे
सभी
देवियाँ ...............
अपनी
खूबसूरती से
मात
दे रही हैं
स्वर्ग
की अप्सराओ को
आज अप्सराओ को इन देवियों से
जलन
हो रही होगी............
करवाचौथ
का व्रत रख
पूरा
दिन भूखी प्यासी रही
किन्तु
चहरे का तेज
और
लालिमा अब भी कायम है
कितना
उत्साह है इनमें ..........
चाँद
को भी आज खूब
तवज्जु
मिल रहा है
देखो
न ..
कथा
सुनने के उपरांत
चाँद
का इंतज़ार
कितना
ज़ोरो पर होता है
चाँद
को छलनी से ताकती
धूप
अर्चना करती
यह
देवियाँ....
मनौतियों
में हर बार मांगती है
अपने
पति की लम्बी उम्र
निसंदेह
यह इनका
अपने
पति के लिए
अथाह
प्रेम व श्रद्धा है
जिसके
लिए वह इतना सब कुछ करती हैं
और
....
प्रेम
व समर्पण तो हमेशा
साथ-साथ
चलता है न... !!
_________© परी ऍम 'श्लोक'
सुंदर ।
ReplyDeleteआपने बहुत खुबसुरत लिख हैँ। आज मैँ भी अपने मन की आवाज शब्दो मेँ बाँधने का प्रयास किया प्लिज यहाँ आकर अपनी राय देकर मेरा होसला बढाये
ReplyDeleteचाँद को छलनी से ताकती
ReplyDeleteधूप अर्चना करती
यह देवियाँ....
मनौतियों में हर बार मांगती है
अपने पति की लम्बी उम्र
निसंदेह यह इनका
अपने पति के लिए
अथाह प्रेम व श्रद्धा है
सभी सुहागिनों को करवा चौथ की हार्दिक बधाइयां
प्रेम व समर्पण तो हमेशा
ReplyDeleteसाथ-साथ चलता है न... !!
निसंधेय..... सुन्दर पंक्तियाँ
निसंदेह यह इनका
ReplyDeleteअपने पति के लिए
अथाह प्रेम व श्रद्धा है
सभी सुहागिनों को करवा चौथ की हार्दिक बधाइयां
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteसच कहा अहि ... जहां प्रेम होता है समर्पण आ ही जाता है ...
ReplyDeleteप्रेम व समर्पण तो हमेशा
ReplyDeleteसाथ-साथ चलता है न... !...haan, umra bhar..aur yun hi chalta rahega !