यूँ
तो टूट जाती है कसमें
वक़्त
के सलीबों से टकरा कर
वादें
भूल जाते हैं
या
फिर जान-बूझ कर
भुला
दिए जातें है
मगर
तुम्हे
इक मौका है
आओ!
मेरी
यकीन को हवा देदो
ज़ज़्बातो
की गर्म धधकती
आँच
पर रख
इश्क़
को सोना बना दो
जब्त
करलो अटकलें
सुलझा दो उलझनों की जुल्फें
सुलझा दो उलझनों की जुल्फें
इकबार
थामो मेरा हाथ
और
ये
रोशन लव्ज़
मेरी
रूह में तराश दो
करो
इकरार हमसे .....
जब
तक रहेगा कायनात
ये
सितारे....ये बहारें
मौसम
लाख बदलें...
हालात
लाख खिलाफत करें
तुम
हमेशा मेरे रहोगे......
छोड़
कर
तन्हाइयो
का साथ
तुम्हारी
अंजुमन में दस्तक देने को
इस
बार तुमपर
आँखें
मूँद कर यकीन करने को
मैं
तैयार हूँ
बस
तुम
हाँ......
तो करो !!
_______________________
© परी ऍम. "श्लोक"
अनुरोध का तरीका उम्दा है। अब हाँ जो होने से कौन रोक सकता है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (28-10-2014) को "माँ का आँचल प्यार भरा" (चर्चा मंच-1780) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
छठ पूजा की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बस तुम
ReplyDeleteहाँ...... तो करो !..sundar ehsaas !
ये रोशन लव्ज मेरी रूह मे तराश दो।
ReplyDeleteइजहार का जज्बात छूता तरीका ।
सुन्दर ।
pyar ka sundar ehsaas....very nicely written as always..
ReplyDeleteख़ूबसूरत एहसास इस रचना में |
ReplyDeleteवाह लाजवाब कर देती हों आप परी जी। आपकी रचनाओं में जो खूबसूरती होती है वो सचमुच अद्भुत है।
ReplyDeleteएक और उम्दा प्रस्तुति आपकी पढ़कर सुकून मिला
मेरी यकीन को हवा देदो
ReplyDeleteज़ज़्बातो की गर्म धधकती
आँच पर रख
इश्क़ को सोना बना दो
बढ़िया प्रस्तुति... शब्दों और भाव की माला पिरोते हुए
सुन्दर रचना.
ReplyDeleteजब तक रहेगा कायनात
ReplyDeleteये सितारे....ये बहारें
मौसम लाख बदलें...
हालात लाख खिलाफत करें
तुम हमेशा मेरे रहोगे......
एकदम सुन्दर शब्द परी जी
जब विश्वास गहन हो अपने प्रेम पर तो फिर बस एक हाँ का ही इंतजार होता है ....
ReplyDeleteबहुत खूब !
वाह्ह्हह्ह्ह्ह अति सुन्दर भाव अभिव्यक्ति
ReplyDelete