Thursday, October 9, 2014

मेरी तमन्नाओ का कवि



उसका न ही पता मालूम
और न ही ठिकाना
मगर इतनी खबर तो है मुझे
कि आज फिर वो
रात भर जागे होंगे आँखो को मसलते हुए
चाय की प्याली को रह-रह कर
होंठो से लगा रहें होंगे...
गालो पर हाथ टिकाये हुए
बड़ी देर तलक सोच कि गहराई में
उतरे होंगे....उभरे होंगे...
कल्पनाओ की रिमझिम से
मीठी-मीठी रंगीन बूंदे समेट कर
मेरा अक्स बड़ी देर तक बनाया होगा...
मुझे पाने के लिए बहुत दूर निकल आये होंगे...
ज़हन में कुछ तूफ़ान उठ खड़े होंगे...
जब मुझसे हाल-ए-दिल कहने का दिल किया होगा..
उन्होंने हाथ में फिर कलम उठा लिया होगा..
कुछ शब्द तलाशे होंगे ..
फिर उसको पिरोया होगा..
जाने वो कितना हँसे होंगे..
पता नही कितना रोये होंगे..
आज उन्होंने फिर एक कविता लिखी होगी
उसमे मेरा जिक्र किया होगा
हर किसी ने उसे पढ़ा होगा
सभी के मर्म को छुआ होगा
और मैं.........
मेरी तमन्नाओ के कवि कि
उस कविता के जज्बातों से लैस
शब्दों को महसूस करने से
आज एक बार फिर
महरूम रह गयी.....!!!

 
  __________________
© परी ऍम 'श्लोक'

7 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (10.10.2014) को "उपासना में वासना" (चर्चा अंक-1762)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. वाह ! किसी कवि की कोमल, मधुर कल्पना में स्वयं को खोज लेना और उसकी कविता के दर्पण में अपने प्रतिबिम्ब को देख लेना कितनी विरल अनुभूति होती होगी ना ! बधाई आपको इस मुकाम पर पहुँचने के लिये ! आँखें बंद कर ध्यान एकाग्र करेंगी तो उस कविता को पढ़ भी पाएंगी इसका विश्वास है मुझे ! बहुत सुन्दर रचना !

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  3. सुप्रभात परी जी
    कविता भाव पूर्ण और सुन्दर |
    मेरी एक गुजारिश है आप को लिखे कमेंट्स हम देख नहीं पाते |मुझे अच्छा नहीं लगता |आप यह अप्रोवल वाला चक्कर हटा दीजिये |वैसे भी आप बहुत अच्छा लिखती हैं |अप्रोवल हटाने से कोई कष्ट नहीं आता ऐसा मेरा अनुभव है |

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ती बधाई

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  5. आज उन्होंने
    फिर एक कविता लिखी होगी
    उसमे मेरा जिक्र किया होगा
    हर किसी ने उसे पढ़ा होगा
    सभी के मर्म को छुआ होगा
    गज़ब के एहसासात होते हैं आपके शब्दों में ​परी जी ! बहुत बहुत सुन्दर रचना

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