पापा
ने बोला बेटी बड़ी हो गयी
किसी अच्छे लड़के की तलाश है
किसी अच्छे लड़के की तलाश है
दौड़ी-दौड़ी आई काकी काम छोड़
पूछा फलाने कितनी की औकात है
सुन तो इक लड़का है मेरी नज़र में
वो बबुआ ऍम. बी. बी. एस. पास है
दो मंज़िला घर लाइट बिजली सब ठाठ- बाठ है
बस २० तोले का सीकड़..
बी.ऍम.डब्ल्यू
कार की माँग-जाँच हैवो बबुआ ऍम. बी. बी. एस. पास है
दो मंज़िला घर लाइट बिजली सब ठाठ- बाठ है
बस २० तोले का सीकड़..
इक
और बड़के शहर में रहता है
बी.टेक पास है नौकरी तो क्या बात है
बस माँगा है लाख रूपइया और कार
बाकी कोई न माँग-जाँच है
बी.टेक पास है नौकरी तो क्या बात है
बस माँगा है लाख रूपइया और कार
बाकी कोई न माँग-जाँच है
बी.ए पास है और उखाड़ता घास है
उसका जुगाड़ करवा दूंगी
तू कहेगा तो कम में निपटवा दूंगी
उसकी भी कुछ ज्यादा नहीं बबुआ
अँगूठी, घड़ी सोने की और
हीरो
स्प्लेंडर की माँग-जाँच है
पापा
हो गए आग बबूले
पर काकी को कुछ न बोले
घर आये मुँह लटकाये
माँ से बाते की सांय-सांय
पर काकी को कुछ न बोले
घर आये मुँह लटकाये
माँ से बाते की सांय-सांय
जब
मुझे पता लगा पूरा माज़रा
पापा को थमाया चना बाज़रा
दिया पापा को अच्छे से समझाए
जो मांगे दहेज ध्यान रखना
मेरी डोली न उस घर जाए
बाद कलप के जीने से बेहतर
आज बेशक मेरी अर्थी दियो उठाय
पापा को थमाया चना बाज़रा
दिया पापा को अच्छे से समझाए
जो मांगे दहेज ध्यान रखना
मेरी डोली न उस घर जाए
बाद कलप के जीने से बेहतर
आज बेशक मेरी अर्थी दियो उठाय
विवाह
शादी नहीं है कोई व्यापार
यह वो सम्बन्ध है जिसमे संसार का है उद्धार
यह वो सम्बन्ध है जिसमे संसार का है उद्धार
इसलिए
जो मांगे दहेज़ मारो खींच के चांटा
मेरी बस इतनी सी सबसे दरख्वास है
बेटी हो तुम करो अभिमान खुदपर
क्यूंकि हमसे ही तो हर घर आबाद है
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© परी ऍम श्लोक
शब्द संयोजन उम्दा है..कविता में अंतर्मन के भाव भी खूब उभर कर आये हैं...
ReplyDeletekash esa ho ki har nazar u aashayen sajaye..to n ho koi hadasaa koi ek ghar khusiyon wala ban jaye.....bhut khub or preranaspad kavita
ReplyDeletebahut aacha
ReplyDeleteआपकी ये रचना चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चा हेतू 18 अक्टूबर को प्रस्तुत की जाएगी। आप भी आइए।
ReplyDeleteस्वयं शून्य
bahut hi badhiya hai aapki ye rachna !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शनिवार- 18/10/2014 को नेत्रदान करना क्यों जरूरी है
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः35 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है सच आपने..।।
ReplyDeleteसुन्दर रचना और ये अभियान बेटिओं से ही शुरु हो सकता है क्योंकि समाज तो व्यपार ही है! हम सब को बदलना होगा! बधाई इस विषय पर काव्य प्रस्तुति के लिये
ReplyDeleteबहुत सटीक और सार्थक रचना
ReplyDeleteसादर
कल 19/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात निकाली है आप ने ।
ReplyDeleteदिल के भावो की माला बना डाली आप ने ।
कैसे कैसे सपने देखे है हर बेटी के बाप ने ।
बहुत से तोड़ दिए इस दहेज़ के श्राप ने ।
नहीं टूट ने देना है अब बेटी के आस ने ।
'जो मांगे दहेज़ मारो खींच के चांटा
ReplyDeleteमेरी बस इतनी सी सबसे दरख्वास है
बेटी हो तुम ,करो अभिमान खुदपर
क्यूंकि तुमसे ही तो हर घर आबाद है'
- यही होना चाहिये -और इसकी शुरुआत हो गई है ,बेटियाँ चेत गई हैं और बोलने लगी हैं अब !
सच कहा
ReplyDeletebahut sundar
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