अलग-थलग
हुए
सोच
रही हूँ
तुम्हारे ही बारे में ....
तुम्हारे ही बारे में ....
कि पता नहीं......
तुम मुझे याद भी करते होगे
या फिर भूल गए होगे
किसी पुराने खत की तरह
बंद दराज़ में रख कर...
सोचती हूँ कि
अपने लब पर
मेरा नाम कभी लाते भी होगे
या कोई मेरा जिक्र भी करे तो तुम
बात का लहज़ा बदल देते होगे...
कितना अंदर से टूटे होगे
तुम्हारा मुझसे वाबस्ता न होने का
सबूत देते देते..
कहाँ तुम सच के आदि थे
और आज नजाने कितना
झूठ बोलते होगे अपने आपसे
नकारते होगे दिन में कई बार
रूह के इस रिश्ते को ...
लेकिन क्या तुम जानते हो ?
मेरा सच.......
आज भी जैस का तैस है
फटा...पुराना...घिसा..पिटा
कुछ नया सा नहीं पनपा उसमें ..
सच कहूँ तो अगर न चलें
तुम्हारे यादो कि आँधियाँ
लहराए न मोहोब्बत कि जुल्फ उसमें
तो मैं भूल ही जाऊँ
कि मैं जिन्दा हूँ....... !!
___________________
© परी ऍम. 'श्लोक'
अनन्य प्रेम की मन को छूती अद्भुत प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDelete:) aapki aur milati sadev iss snehik va utsaahvardhak tipanni ke liye haardik aabhaar :)
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - रविवार- 19/10/2014 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 36 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
बहुत ही सुन्दर रचना बधाई परी जी
ReplyDeleteतो मैं भूल ही जाऊँ
कि मैं जिन्दा हूँ..
भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteअगर न चले तुम्हारी यादों की आँधियाँ.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।।
बहुत सुंदर एवं भावनात्मक.
ReplyDeleteसुंदर हमेशा की तरह !
ReplyDeleteप्रेम का गहरा एहसास लिए ...
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक बधाई ...
उम्दा जज़्बात ....
ReplyDeletebahut sunder rachana hai
ReplyDeletehamare manch se judein,
sudhir singh sudhakar
sudhirsinghmgwa@gmail.com
sanyojak ,
MANZIL GROUP SAHTIK MANCH,Delhi
9953479583
सच कहूँ तो अगर न चलें
ReplyDeleteतुम्हारे यादो कि आँधियाँ
लहराए न मोहोब्बत कि जुल्फ उसमें
तो मैं भूल ही जाऊँ
कि मैं जिन्दा हूँ....... !!
गज़ब की भावनाएं
kya kahu...? apratim rachana hai Pariji...! dil ko chho gayi..kahu ke dilme utar gayi kahu...! love u Pari ji..!!
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