कलम
चलती रहेगी तो दर्द उतरता रहेगा
वरना
क्या पता अंदर कोई बारूद बन जाए
उसके
वारो को हँसकर हम आज टाल भी दें
लेकिन
ये जख्म बेवफाई का न सबूत बन जाएँ
मैं
उसे दिल से किताबो के पन्ने तक संजोती हूँ
कि
कहीं बेवा न उसकी यादो का वज़ूद बन जाए
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© परी ऍम 'श्लोक'
आपने उचित ही लिखा लिखा हैँ। कलम् धार तलवार से भी ज्यदा तेज होती हैँ। इस बात को इतिहास गवहा हैँ कि जो काम तलवार नहीँ कर सकी कलम ने करके दिखाया ।
ReplyDeleteधन्यवाद
Welcome
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteBhaut accha
ReplyDeleteदर्द का बह जाना ही अच्छा होता है ...
ReplyDeleteमैं उसे दिल से किताबो के पन्ने तक संजोती हूँ
ReplyDeleteकि कहीं बेवा न उसकी यादो का वज़ूद बन जाए
खूबसूरत अलफ़ाज़