Thursday, June 12, 2014

मेरी तस्वीरो से भरी फिर क्यूँ तेरी किताब है?...!!

तू हो या मैं हूँ हर किसी को इक तलाश है......
मछलियो से कभी पूछेंगे क्या उसे भी प्यास है?.....

बह रही है हवा....बहारो का आग़ाज़ है........
फिर भी क्यूँ दिन जला..रात क्यूँ उदास है?....
 
कोई भी तो नहीं पूरा इस जहाँ में जान लो......
मोर झूम रोया पाँव देख..चाँद पर भी दाग है......

गर तेरे दिल में मैं नहीं मेरे दिल में तू नहीं.....
मेरी तस्वीरो से भरी फिर क्यूँ तेरी किताब है ?......



ग़ज़लकार: परी ऍम 'श्लोक'

No comments:

Post a Comment

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!