इस ज़माने को
जलने के लिए...
आग कि क्या ज़रूरत है?
ईर्ष्या ही काफी है....
वैसे यूँ मरने के लिए...
खंज़र कि क्या ज़रूरत है?
धोका ही काफी है....
जिंदगी क्या चीज़ है....
ए दोस्त...
ये समझने के लिए...
इश्क़ का इक...
मौका ही काफी है
रिश्तो कि
नींव हिलाने को ....
कुछ ज्यादा नहीं....
बस शक का हल्का
झोका ही काफी है....
________परी ऍम श्लोक
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