इस जनम नहीं तो फिर उस जनम मिलेंगे
इक बार तुझसे हम....'ए' मेरे सनम मिलेंगे
मिटायेंगे खामियां अपनी वक़्त की रबड़ से
किसी दौर में तुझको मुकम्मल से हम मिलेंगे
कब तक करेगी तकदीर यूँ रुस्वाइयां हमसे
कभी न कभी तो तेरी लकीरो में हम मिलेंगे
मायूस न होना अगर शहर में न नज़र आये
हकीकत से दूर कहीं तुझे ख्वाबो में हम मिलेंगे
इतना कहाँ आसान हमको मिटा पाना भी है
तेरी ग़ज़ल..तेरी नज़म,,तेरी कविता में हम मिलेंगे
कब तक करेगा इंकार खुदा मेरी दुवाओं से
कभी तो उस के भी हमें रहम-ओ-करम मिलेंगे
____ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
इक बार तुझसे हम....'ए' मेरे सनम मिलेंगे
मिटायेंगे खामियां अपनी वक़्त की रबड़ से
किसी दौर में तुझको मुकम्मल से हम मिलेंगे
कब तक करेगी तकदीर यूँ रुस्वाइयां हमसे
कभी न कभी तो तेरी लकीरो में हम मिलेंगे
मायूस न होना अगर शहर में न नज़र आये
हकीकत से दूर कहीं तुझे ख्वाबो में हम मिलेंगे
इतना कहाँ आसान हमको मिटा पाना भी है
तेरी ग़ज़ल..तेरी नज़म,,तेरी कविता में हम मिलेंगे
कब तक करेगा इंकार खुदा मेरी दुवाओं से
कभी तो उस के भी हमें रहम-ओ-करम मिलेंगे
____ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Aapki sabhi rachnayeiN behad khoobsurat hai >>>>>>>
ReplyDelete>>>>>>>>> wakai is kadar shayaree ke shamiyane meiN mujhe behad khushi mili >>>
........shukriya Aapka
Bahut shukriya pradeep ji aapka meri kavitaao ko pasand Marne aur hosala badhaane k liye.....aabhaaarrr
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