Tuesday, June 10, 2014

"चिड़िया का संघर्ष"

उठती है चिड़िया...
ची-ची कर देती है
सुबह का अलार्म....

निकल पड़ती है फिर
दाना चुगने इधर-उधर...

नहीं घबराती वो
दिन दोपहरी से...
चिरराते धूप से..
लूक बयार से....
ओला..पाथर..
बरसात से... 

लाकर भरती है....
जाने किस-किस जुगाड़ से..
चोंच में दाना ढोकर
अपने बच्चो का पेट...

यही दिनचर्या है उसकी  
ऐसे ही दिन भर फिरना
किसी तलाश में....

और शाम होते ही
लौट आना
अपने घोसले में.....

यही है उसके जीवन के
प्रयासों की कहानी...

वास्तव में....
जीवन के किसी भी पहलु पर
अध्यन किये जाने पर
निष्कर्ष निकल कर यही सामने आता है........

कि ये जीवन एक संघर्ष है !!!

 रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'

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