न वक़्त तुम्हारे पास है
न वक़्त हमारे पास है
माया में दुनिया रमी
माया ही सब आज है
कुछ कहे-सुने मुद्दत हुई
कहो तुम कुछ ये हसरत हुई
लेकिन रिश्तो में आ लगी
अपारदर्शिता की गाँठ है
सफर कटा मेरा तनहा
ये कैसा जन्मो का साथ है
आँखों से बरसी कितनी पीड़ा
फिर भी मन में जमा अवसाद है
प्रेम का गीत मूक हुआ
जाने कौन सा चूक हुआ
समय की धार में बह निकला
हम दोनों का उल्लास है
___________परी ऍम श्लोक
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