Friday, June 27, 2014

हमको तो मुफलिसी ने मारा है दोस्तों......!!


हमको तो मुफलिसी ने मारा है दोस्तों...
वरना शान तो हमें भी प्यारा है दोस्तों..

ठंडा पड़ा है चूल्हा...थाली भी है खाली...
पेट में जलता भूख का अंगारा है दोस्तों..

न तन पे मेरे कपड़े....न सर पे छत है...
मेरा दर्द कब किसी ने जाना है दोस्तों..

मुझको दुतकारा गया जैसे कोई कुत्ता हूँ..
कब किसी ने यहाँ प्यार से पुकारा है दोस्तों...

गाँव से निकल आया रोटी के खातिर...
फूथपाथ ही अब अपना सहारा है दोस्तों...

न सर्दियों की धूप... न सावन की बरसात
मेरे खातिर बेकार..चाँद और सितारा है दोस्तों

कुछ गुनाह कमाए मैंने भी गरीबी की बदौलत... 
धोखा दिया...तो किसी का पॉकेट मारा है दोस्तों...

गद्दार तो नहीं हूँ....मुल्क से है मोहोब्बत... 'श्लोक'
मगर इंसानियत को ज़रा सा हारा हूँ दोस्तों...

______परी ऍम श्लोक

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