चेहरा तो नहीं होता आइना किसी का......
मगर चहरे पे मरने वालो का तांता लगा मिला.....
मन की ज़मीन पर लगाया था गुलिस्तां.......
मगर देह के कीचड़ से मन में कांटा चुभा मिला.....
प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ने को ज्यो मैं बैठी......
वासना के शहर में प्रेम अधमरा मिला......
_______परी ऍम श्लोक
मगर चहरे पे मरने वालो का तांता लगा मिला.....
मन की ज़मीन पर लगाया था गुलिस्तां.......
मगर देह के कीचड़ से मन में कांटा चुभा मिला.....
प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ने को ज्यो मैं बैठी......
वासना के शहर में प्रेम अधमरा मिला......
_______परी ऍम श्लोक
खूबसूरत अहसास !
ReplyDeleteBahut aabhar aapka naveen ji
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